शेतीच्या होस्टेलला जिना बनवणे

उद्देश:-

धातूविषयक ज्ञान रचनात्मक आणि समस्या सोडवण्याची क्षमता सुरक्षा आणि कार्यप्रवाह हस्तकला कौशल्य सामग्रीची निवड आणि उपयुक्त

साहित्य:-

लोखंडी क्षणी लोखंड प्लीज वेल्डिंग मशीन हॅमर पेंच आणि ड्रिल मशीन रुरल आणि लेवल टू टेप हँड कटर ग्राइंडिंग मशीन लाईफ प्रायमर सीडी सिमेंट कुदर पावडा बोर्ड हातमोजे हेल्मेट सुरक्षा चष्मा वेल्डिंग चष्मा रॉड कटर ब्लेड पाणी बॉटल

कृती:-

1 पहिल्यांदा एक मोठा खांब घेतला व तो उभा करून त्याचे माप काढले. खांबापासून ते भिंतीपर्यंत अंतर मोजून घेतले सर्व मोजमाप घेतल्यानंतर किती शिड्या बसतील याची आकृती काढून घेतली माप घेतलेल्या ठिकाणी मार्किंग करून घेतली.

  1. मापन केलेल्या व डायग्राम काढलेल्या अंदाजाने आम्ही गावांमध्ये साहित्य आणायला गेलो तिथून सीर्डी पत्रा L स्क्वेअर पाईप D पाईप C पाईप घेऊन आलो.
  2. जिथे पायऱ्या बनवायच्या आहेत त्या ठिकाणी हॅमरने फोडून घेतले. आणि बेस उभा करण्यासाठी खड्डा खोदून घेतले.

शिडीसाठी पत्रा लेझर मशीन वरती कापून घेतला व त्याला वेल्डिंग केली. व त्याचा मध्ये भागासाठी बेस बनवून घेतला.

5.पायऱ्यांचे मा प ठरल्याप्रमाणे स्केअर पाईप कट करून घेतले. गुणाच्या साह्याने उपयोग करून ४५ डिग्रीचा कोण कट करून घेतला . त्याला को2 वेल्डिंग मारली. नंतर ARC वेल्डिंग पण मारली. त्याला ग्राइंडिंग मारून घेतली.

  1. पहिल्यांदा प्रोजेक्ट उभा करण्यासाठी त्याची पूजा करून घेतली. व खांब उभे केले व त्याला सिमेंट काँक्रेट करून घेतले त्याला सपोर्टसाठी चारी बाजने वेल्डिंग करून घेतले अगोदर बनवले असलेल्या शिडीच्या मापावर वेलिंग मारून घेतली त्याला मशीन ने कट करून स्केअर पाईप बसवून घेतला.
  2. पायऱ्या बसून झाल्यानंतर स्क्वेअर आणि D पाईप बसवून घेतले गॅपमध्ये वेल्डिंग मारून घेतली काही ठिकाणी S डिझाईन पण बनवून घेतले. सर्व झाल्यानंतर फुल वेल्डिंग मारून घेतली . जिना पूर्ण झाल्यावर त्याला पॉलिश व काही ठिकाणी ग्राइंडिंग करून घेतले.
  3. जिना पूर्ण झाल्यावर पॉलिश पेपरने पॉलिश करून घेतला व त्याला प्रायमरी कलर दिला.

निष्कर्ष:-

लोखंडी जिना तयार करताना धातूचे काम वेल्डिंग प्रक्रिया आणि सुरक्षा नियम शिकता आले शारीरिक आणि मानसिक कौशल्यांचा विकास झाला हाताची प्रॅक्टिस झाली काम करताना सुरक्षा बाळगून काम केले व्यावसायिक दृष्टिकोनातून नियोजन च्या तंत्रज्ञानाची समजून घेतले एक मजबूत टिकाऊ आणि दीर्घकालीन वस्तू तयार केली.

अनुभव:-

जिन्याचे काम करताना आम्हाला वेल्डिंग चा माप काढून साहित्य कॉस्टिंग कशी काढावी हे शिकलो एखादे काम करताना किती काळजीपूर्वक आणि धीर धर ून करावे हे शिकले. शिर्डी लावताना काही ठिकाणी अडचणी आल्या त्यांचे विचार करून कसे समाधान करता येईल हे बघितले. काही वेळेस लाईट जायची त्यामुळे वेळेचे किती महत्त्व आहे हे पण कळले. काही वेळेस काही सीडीचे वेल्डिंग किंवा कटिंग थोडी चुकायची ती चूक कशी दुरुस्त करता येईल हे बघितले. आणि शेपटी किती गरजेची आहे हे आम्हाला जिना बनवताना अनुभव आला. काम करताना आपण किती त्याच्यामध्ये वेळ दिला पाहिजे याचे पण महत्त्व कळले.

CO₂मशीन

CO₂ (कार्बन डाइऑक्साइड) मशीन का प्रैक्टिकल मुख्य रूप से उन प्रक्रियाओं को समझने के लिए किया जाता है, जिनमें CO₂ का उत्पादन या उसका प्रयोग होता है। यहां CO₂ मशीन के एक सरल प्रैक्टिकल का उदाहरण दिया गया है:

CO₂ गैस जनरेटर का प्रैक्टिकल:

सामग्री:

एक फ्लास्क (Glass Flask)

सोडियम बाइकार्बोनेट (NaHCO₃) (बेकिंग सोडा)

हाइड्रोक्लोरिक एसिड (HCl)

पानी

एक स्टॉपर या रबर कॉर्क (Flask को बंद करने के लिए)

एक ट्यूब (गैस निकालने के लिए)

पानी से भरा बर्तन (Water trough)

गॉगल्स और दस्ताने (सुरक्षा के लिए)

प्रक्रिया:

  1. सबसे पहले फ्लास्क में सोडियम बाइकार्बोनेट (बेकिंग सोडा) को डालें। उदाहरण के लिए, 10 ग्राम बेकिंग सोडा।
  2. अब फ्लास्क में थोड़ी सी हाइड्रोक्लोरिक एसिड (HCl) डालें। एसिड डालने पर रासायनिक प्रतिक्रिया शुरू होगी:

NaHCO₃ + HCl → NaCl + CO₂ + H₂O

इस प्रतिक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) गैस उत्पन्न होती है।

  1. जब एसिड और बेकिंग सोडा आपस में प्रतिक्रिया करते हैं, तो CO₂ गैस फ्लास्क से बाहर निकलने लगेगी।
  2. CO₂ गैस को एक ट्यूब के माध्यम से पानी में भरे बर्तन में नली के जरिए डाला जाता है।
  3. CO₂ गैस पानी में धीरे-धीरे बबल्स के रूप में उभरती है, जिसे आप देख सकते हैं। CO₂ गैस का पानी में घुलने का कोई प्रभाव नहीं होता, लेकिन यह दिखाता है कि गैस सही तरीके से उत्पन्न हो रही है।

सुरक्षा:

प्रयोग करते समय सुरक्षा चश्मे और दस्तानों का उपयोग करें।

हाइड्रोक्लोरिक एसिड से सावधान रहें और प्रयोग के बाद हाथ अच्छे से धोएं।

निष्कर्ष: यह प्रैक्टिकल दिखाता है कि किस प्रकार एक रासायनिक प्रतिक्रिया (Sodium Bicarbonate + Hydrochloric Acid) से CO₂ गैस उत्पन्न होती है। इस प्रयोग से CO₂ गैस के गुण और इसके प्रयोग को समझा जा सकता है।

Let Machine”

“Let Machine” का प्रैक्टिकल हिंदी में समझने के लिए, हमें सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि “Let Machine” क्या है। लेकिन आपके सवाल में थोड़ी अस्पष्टता हो सकती है, क्योंकि “Let Machine” एक आम तकनीकी या साइंटिफिक शब्द नहीं है।

अगर आप “Let Machine” को किसी खास संदर्भ में देख रहे हैं, जैसे किसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, गणित, या किसी मशीन लर्निंग मॉड्यूल के संदर्भ में, तो कृपया उसे थोड़ा और स्पष्ट करें, ताकि मैं बेहतर तरीके से जवाब दे सकूं।

यदि आप किसी अन्य प्रकार के मशीन या तकनीकी विषय की बात कर रहे हैं, जैसे “लेट” की मशीन (जो शब्दों को “लेट” यानी अनुमति देती हो) या कोई विशेष प्रैक्टिकल प्रयोग, तो कृपया अधिक जानकारी दें।

आशा है कि इससे आपकी मदद होगी!

मिलिंग मशीन

मिलिंग मशीन का प्रैक्टिकल (Practical) निम्नलिखित तरीके से किया जा सकता है:

मिलिंग मशीन का परिचय:

मिलिंग मशीन एक मशीन है जिसका उपयोग धातु, लकड़ी या अन्य सामग्री को काटने, आकार देने और फिनिशिंग करने के लिए किया जाता है। इसमें एक घूर्णनशील उपकरण (मिल) होता है, जो सामग्री पर दबाव डालकर उसे वांछित आकार में काटता है।

मिलिंग मशीन के मुख्य प्रकार:

  1. हॉरिजेंटल मिलिंग मशीन: इसमें मिलिंग कटर क्षैतिज (horizontal) दिशा में घूमता है।
  2. वर्टिकल मिलिंग मशीन: इसमें मिलिंग कटर ऊर्ध्वाधर (vertical) दिशा में घूमता है।
  3. कंट्रोल्ड मिलिंग मशीन: यह CNC (Computer Numerical Control) मिलिंग मशीन है, जो कंप्यूटर के माध्यम से नियंत्रित होती है।

मिलिंग मशीन का प्रैक्टिकल कैसे किया जाता है:

  1. सुरक्षा निर्देशों का पालन करें:

काम करने से पहले सुरक्षा गियर (जैसे गोगल्स, दस्ताने) पहनें।

मिलिंग मशीन की कार्यक्षमता और उसके कंट्रोल्स के बारे में समझें।

मशीन के चारों ओर कोई बाधाएं या गंदगी नहीं होनी चाहिए।

  1. सामग्री को सही से फिक्स करें:

वर्कपीस (कार्य सामग्री) को मशीन के टेबल पर सही तरीके से फिक्स करें।

टाइटनिंग क्लैंप का उपयोग करके वर्कपीस को मजबूत तरीके से पकड़ें ताकि वह कटर के संपर्क में आने पर हिल न जाए।

  1. मिलिंग कटर का चयन करें:

उचित मिलिंग कटर का चयन करें (जैसे फ्लाट कटर, रैडियस कटर, आदि) जो वर्कपीस के आकार और काम के प्रकार के अनुसार उपयुक्त हो।

  1. स्पीड और फीड सेटिंग्स को समायोजित करें:

मिलिंग मशीन की स्पीड (RPM) और फीड (मशीन की गति) को सेट करें।

यदि आप धातु काट रहे हैं तो स्पीड कम रखें, और लकड़ी या हल्की सामग्री के लिए अधिक स्पीड हो सकती है।

  1. काटने की प्रक्रिया:

मशीन चालू करें और मिलिंग कटर को वर्कपीस पर धीरे-धीरे लाएं।

कटर के संपर्क में आने पर वर्कपीस को मिलिंग कटर द्वारा सही दिशा में काटने के लिए धीरे-धीरे आगे

spray painting

स्प्रे पेंटिंग (Spray Painting) का प्रैक्टिकल एक कला प्रक्रिया है जिसमें पेंट को एक स्प्रेयर के माध्यम से सतह पर फैलाया जाता है। यह तरीका बहुत तेजी से काम करने में सहायक होता है और इसका उपयोग विशेष रूप से मोटर वाहन, फर्नीचर, और दीवारों पर रंगने के लिए किया जाता है। स्प्रे पेंटिंग का प्रैक्टिकल करने के लिए निम्नलिखित कदमों का पालन किया जा सकता है:

आवश्यक सामग्री:

  1. स्प्रे पेंट (Spray Paint)
  2. स्प्रे गन या पंप स्प्रे (Spray Gun or Pump Spray)
  3. सुरक्षात्मक गहनों (Protective Gear) जैसे दस्ताने, मास्क, और चश्मे।
  4. कागज या कार्डबोर्ड (Cardboard or Paper for protection)
  5. साफ़ कपड़े (Cleaning Cloth)
  6. पेंट की सतह (Surface to be painted)

स्प्रे पेंटिंग का तरीका:

  1. सतह को तैयार करें:

जिस भी वस्तु या सतह पर स्प्रे पेंटिंग करनी है, उसे साफ़ करें। इससे धूल, गंदगी, या पुराने पेंट हट जाएंगे।

अगर ज़रूरत हो तो सैंडपेपर से सतह को चिकना करें ताकि पेंट अच्छे से चिपके।

  1. स्प्रे पेंट का चुनाव करें:

पेंट के रंग और प्रकार का चयन करें। पेंट का प्रकार सतह और उपयोग के हिसाब से होना चाहिए।

  1. सुरक्षात्मक गहनों का प्रयोग करें:

चूंकि स्प्रे पेंट हवा में फैलता है, इसलिए मास्क, दस्ताने और चश्मे का उपयोग करें ताकि पेंट आपकी त्वचा या आंखों में न जाए।

  1. स्प्रे गन या पंप स्प्रे को भरें:

पेंट को स्प्रे गन या पंप स्प्रे में भरें और अच्छे से जांच लें कि गन में कोई अवरोध न हो।

  1. पेंटिंग की प्रक्रिया:

स्प्रे गन को सतह से 6 से 12 इंच दूर रखें और हल्के हाथ से स्प्रे करें। पेंट को समान रूप से और थोड़े-थोड़े सेकेंड के अंतराल में स्प्रे करें ताकि पेंट का लेयर समान हो।

गन को एक दिशा में रखें और एक ही बार में बड़ी सतह को पेंट करने की कोशिश करें, ताकि पेंट में लकीरें न बनें।

  1. सुखाने का समय:

पेंट को सूखने के लिए समय दें। यदि आवश्यकता हो तो पेंट की दूसरी लेयर भी लगाएं। ध्यान रखें कि पेंट की प्रत्येक परत सूखने के बाद ही अगली परत लगाएं।

  1. सतह की जांच करें:

पेंट सूखने के बाद सतह की जांच करें, यदि कोई भाग छूट गया हो तो उस पर हलके से पेंट करें।

  1. सफाई:

स्प्रे गन और अन्य उपकरणों को ठीक से साफ़ करें, ताकि अगली बार उपयोग करते समय पेंट सही तरीके से स्प्रे हो।

निष्कर्ष:

स्प्रे पेंटिंग एक आसान और प्रभावी तरीका है, लेकिन इसे सही तरीके से करने के लिए सतह की तैयारी, सुरक्षात्मक उपकरणों का उपयोग, और पेंट की सही परतें लगाना जरूरी होता है। इस प्रक्रिया से आप अपनी कला को जल्दी और सुंदर तरीके से प्रकट कर सकते हैं।

Trading typing

टैपिंग और थ्रेडिंग (Taping and Threading) पर प्रयोग

उद्देश्य:

इस प्रयोग का उद्देश्य टैपिंग और थ्रेडिंग तकनीकों को समझना और इनके उपयोग को व्यावहारिक रूप में जानना है। ये दोनों तकनीकें मैकेनिकल कार्य और प्रोग्रामिंग के संदर्भ में अलग-अलग होती हैं, लेकिन इनका मुख्य उद्देश्य कार्यों को क्रमबद्ध तरीके से और तेज़ी से निष्पादित करना होता है।

टैपिंग (Taping) का प्रयोग:

टैपिंग का मतलब किसी धातु या अन्य सामग्री के अंदर स्ट्रेटेड (threaded) छेद बनाना होता है। यह एक सामान्य मशीनिंग प्रक्रिया है, जिसे एक टैपिंग मशीन या हैंड टूल के द्वारा किया जाता है।

उद्देश्य:

टैपिंग प्रक्रिया का उद्देश्य किसी धातु या अन्य सामग्री में स्क्रू के लिए एक सही आकार के थ्रेड्स बनाना है, ताकि स्क्रू या बोल्ट को वहां फिक्स किया जा सके।

उपकरण:

  1. टैपिंग टूल (Hand Tap या Tap Machine)
  2. धातु या अन्य सामग्री
  3. हैंड ड्रिल या मशीनी उपकरण
  4. कूलेंट (अगर आवश्यक हो)

प्रक्रिया:

  1. सामग्री को पकड़ें: सबसे पहले, जिस सामग्री में टैपिंग करनी है, उसे मशीन में सही तरीके से जकड़ें।
  2. होल ड्रिल करें: सबसे पहले उस सामग्री में एक छोटा सा छेद ड्रिल करें, जो उस धातु में थ्रेड बनाने के लिए पर्याप्त हो।
  3. टैपिंग टूल का उपयोग करें: अब टैपिंग टूल को छेद में डालें और उसे घुमाते हुए धीरे-धीरे टूल को अंदर दबाएं। यह प्रक्रिया सामग्री में थ्रेड्स बनाने के लिए होती है।
  4. कूलेंट का उपयोग करें: यदि आवश्यक हो, तो मशीन में कूलेंट का उपयोग करें ताकि प्रक्रिया के दौरान गर्मी कम हो और टूल की स्थिति सही बनी रहे।
  5. जांचें: कार्य पूरा होने के बाद थ्रेड की गुणवत्ता जांचें कि स्क्रू ठीक से फिट हो रहा है या नहीं।

थ्रेडिंग (Threading) का प्रयोग:

थ्रेडिंग एक तकनीकी प्रक्रिया है, जिसमें किसी सिलिंड्रिकल वस्तु पर थ्रेड्स (स्ट्रेटेड) बनाए जाते हैं। इसे सामान्यत: एक लेथ मशीन द्वारा किया जाता है।

उद्देश्य:

थ्रेडिंग प्रक्रिया का उद्देश्य एक सिलिंड्रिकल धातु पर थ्रेड्स काटना है ताकि वह किसी अन्य हिस्से से जुड़ा जा सके (जैसे बोल्ट या नट के लिए)।

उपकरण:

  1. लेथ मशीन (Lathe Machine)
  2. थ्रेडिंग टूल (Threading Tool)
  3. कूलेंट (यदि आवश्यक हो)
  4. सामग्री (सिलिंड्रिकल धातु)

प्रक्रिया:

  1. सामग्री को सेट करें: सिलिंड्रिकल धातु को लेथ मशीन में ठीक से सेट करें।
  2. थ्रेडिंग टूल का चयन करें: टूल को सेट करके उसे सिलिंड्रिकल सामग्री पर धीरे-धीरे दबाएं।
  3. धीरे-धीरे थ्रेड काटें: लेथ मशीन को चालू करके टूल को एक समान गति से घुमाने की प्रक्रिया में सामग्री पर थ्रेड काटे जाते हैं।
  4. समानता जांचें: थ्रेड्स की समानता और गुणवत्ता की जांच करें। थ्रेड्स का आकार सही होना चाहिए।

निष्कर्ष:

टैपिंग और थ्रेडिंग दोनों महत्वपूर्ण तकनीकें हैं, जो विभिन्न मैकेनिकल और प्रोडक्शन कार्यों में उपयोग होती हैं। टैपिंग का उपयोग छोटे छेदों में थ्रेड्स बनाने के लिए किया जाता है, जबकि थ्रेडिंग बड़े सिलिंड्रिकल हिस्सों पर थ्रेड्स काटने के लिए किया जाता है। इन प्रक्रियाओं का सही तरीके से अभ्यास करके आप मशीन टूल्स के उपयोग में दक्षता हासिल कर सकते हैं और धातु निर्माण में उच्च गुणवत्ता के परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।

FRP

FRP (Fiber Reinforced Polymer) का प्रैक्टिकल में प्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे कि निर्माण उद्योग, ऑटोमोबाइल, और एरोस्पेस। FRP एक प्रकार का कंपोजिट मटेरियल होता है जिसमें फाइबर (जैसे कांच, कार्बन, या आर्मिड) और रेजिन (जैसे एपॉक्सी, पोलिएस्टर, या वेनिल एस्टर) होते हैं। FRP के निर्माण और प्रयोग के बारे में एक साधारण प्रैक्टिकल प्रक्रिया निम्नलिखित है:

FRP का प्रैक्टिकल (प्रयोग) करने की प्रक्रिया:

  1. सामग्री तैयार करें:

फाइबर (जैसे कांच के फाइबर)।

रेजिन (जैसे एपॉक्सी या पोलिएस्टर रेजिन)।

हार्डनर (रेजिन को सेट करने के लिए)।

एक मोल्ड (जैसे प्लास्टिक, सिलिकॉन या स्टील का मोल्ड)।

  1. मोल्ड की तैयारी:

सबसे पहले मोल्ड को अच्छे से साफ करें।

मोल्ड पर एक रिलीज एजेंट लगाएं, ताकि FRP को निकालने में कोई कठिनाई न हो।

  1. फाइबर की कटाई और संरचना:

कांच के फाइबर को आकार में काटें, जो मोल्ड की सटीक आवश्यकता के अनुसार हो।

फाइबर के लेयर्स (परतों) को मोल्ड में रखें। प्रत्येक परत को रेजिन के साथ सिक्त करें।

  1. रेजिन मिश्रण:

रेजिन और हार्डनर को निर्धारित अनुपात में मिलाएं। रेजिन का मिश्रण तब तक प्रयोग करें जब तक वह पूरी तरह से सेट न हो जाए।

  1. फाइबर पर रेजिन का लेप लगाना:

तैयार रेजिन मिश्रण को फाइबर की परतों पर अच्छे से लगाएं।

सुनिश्चित करें कि प्रत्येक परत पूरी तरह से रेजिन से सिक्त हो।

  1. लेयर्स का निर्माण:

रेजिन को प्रत्येक फाइबर की परत में लगाते हुए कई परतें बनाएं।

इस प्रक्रिया को तब तक दोहराएं जब तक पूरी संरचना बन न जाए।

  1. सुखाना और सेट करना:

अब FRP को पूरी तरह से सूखने और सेट होने के लिए छोड़ दें। यह प्रक्रिया कुछ घंटों से लेकर एक दिन तक हो सकती है, यह रेजिन और मौसम के आधार पर निर्भर करता है।

  1. FRP संरचना को मोल्ड से बाहर निकालना:

जब FRP पूरी तरह से सेट हो जाए, तो उसे मोल्ड से बाहर निकालें।

  1. समीक्षा और फिनिशिंग:

तैयार FRP को किसी भी खामी से मुक्त करने के लिए सैंडिंग और पॉलिशिंग करें।

FRP के फायदे:

हल्का और मजबूत होता है।

जंग और संक्षारण से बचाता है।

ऊँचे तापमान और मौसम की कठोर परिस्थितियों में काम कर सकता है।

उपयोग:

FRP का उपयोग निर्माण उद्योग में पुलों, दीवारों, टावरों, और पाइपलाइन में किया जाता है।

इसका उपयोग ऑटोमोबाइल और हवाई जहाज की संरचनाओं में भी होता है।

यह एक साधारण FRP प्रैक्टिकल प्रक्रिया है। वास्तविक प्रयोग में, FRP के विभिन्न अनुप्रयोगों के अनुसार प्रक्रिया में थोड़ा अंतर हो सकता है।

RCC

) का प्रैक्टिकल मुख्य रूप से कंक्रीट और स्टील के मिश्रण का प्रयोग करके निर्माण सामग्री की माप, परीक्षण और विश्लेषण पर आधारित होता है। RCC का प्रैक्टिकल कई प्रकार के होते हैं, जैसे कंक्रीट की मिक्सिंग, उसके कम्पैक्टनेस, स्ट्रेंथ टेस्टिंग, और अन्य संबंधित टेस्ट। यहां RCC के प्रैक्टिकल के कुछ मुख्य पहलुओं को हिंदी में समझाया गया है:

  1. कंक्रीट मिश्रण का परीक्षण (Concrete Mix Design)

इस प्रैक्टिकल में कंक्रीट के सही अनुपात (Cement, Sand, Aggregate) को निर्धारित किया जाता है।

सबसे पहले कंक्रीट के मिक्स को डिजाइन किया जाता है। इसमें M20, M25 जैसे विभिन्न ग्रेड के कंक्रीट की ताकत का निर्धारण किया जाता है।

  1. कंक्रीट का कम्पैक्शन (Concrete Compaction Test)

इस परीक्षण में कंक्रीट को कम्पैक्ट किया जाता है ताकि उसमें से हवा और पानी निकल जाए, जिससे उसकी मजबूती में वृद्धि हो।

यह परीक्षण क्यूब, सिलिंडर या स्लंप टेस्ट के माध्यम से किया जाता है।

  1. स्लंप टेस्ट (Slump Test)

स्लंप टेस्ट कंक्रीट के वर्केबिलिटी को मापने का एक तरीका है।

इसमें एक कोन शेप की मापी जाती है। कोन को कंक्रीट से भरकर जब उसे हटा दिया जाता है तो कंक्रीट कितना गिरता है, यह स्लंप को मापता है।

इस टेस्ट से कंक्रीट की श्रेणी का अनुमान लगाया जाता है।

  1. कंक्रीट की compressive strength टेस्ट (Compressive Strength Test)

इस टेस्ट में कंक्रीट की ताकत को मापने के लिए कंक्रीट के क्यूब का परीक्षण किया जाता है।

क्यूब को 7 दिन और 28 दिन के बाद टेस्ट किया जाता है। यह जानने के लिए कि कंक्रीट की ताकत किस स्तर पर पहुंच चुकी है।

क्यूब को कम्प्रेशन टेस्टिंग मशीन में रखा जाता है और उस पर लोड डाला जाता है।

  1. टेंसाइल और बेंडिंग टेस्ट (Tensile and Bending Test)

इसमें स्टील के सरिए (Rebars) की तन्यता (Tensile) और बेंडिंग (Bending) की ताकत का परीक्षण किया जाता है।

यह परीक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि स्टील के सरिये पर्याप्त ताकत वाले हैं और कंक्रीट संरचनाओं में स्थायिता ला सकते हैं।

  1. स्ट्रक्चरल एलिमेंट्स की टेस्टिंग (Testing of Structural Elements)

इस प्रैक्टिकल में RCC स्लैब, बीम, कॉलम, और स्लैब की स्थायिता और लोड वहन क्षमता का परीक्षण किया जाता है।

यह परीक्षण RCC के डिजाइन के अनुरूप सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।

  1. Flexural Strength Test

निष्कर्ष

RCC के प्रैक्टिकल के माध्यम से विद्यार्थियों को यह समझने में मदद मिलती है कि कंक्रीट और स्टील का मिश्रण कैसे कार्य करता है और इसका निर्माण में कितना महत्व है। यह प्रैक्टिकल कंक्रीट की सही मिक्सिंग और विभिन्न परीक्षणों के आधार पर संरचनाओं की स्थायिता को सुनिश्चित करने में सहायक होते हैं।

सपली का प्रैक्टिकल

हमने सुपली और चाडी बनाने का प्रैक्टिकल किए थे सबसे पहले हमको कर अपने पास बिठाकर हमको डायग्राम निकालने के लिए बोले सुपारी और जड़ी का हमने सबसे पहले पेज लिए और स्लिप बनाकर सर को दिखाएं और सर हमको बोले ऐसा ही बनाना फिर हम सिंपली बना कर दिखाएं फिर उसके बाद डब्बे भी बना कर दिखाएं फिर हम सब करें उसके बाद हम सिंपली बनाकर एक तैयार किया

. ईंट का जॉइंट

हमने ईंट का जॉइंट सीखे ईट किस-किस प्रकार के जॉइंट किया जाता है वह हमें सर ने बताएं हमको सबसे पहले ग्राउंड में ले कर और उसके बाद उल्टी मंगाई बहुत सारे और हमें एक-एक करके बताने लगे पांच प्रकार के जॉइंट होता है हमने फिर प्रैक्टिकल भी किया जॉइंट का और हमको सर पूछने भी लगे प्रैक्टिकल पूरे होने के बाद सर एक-एक को पूछने लगे

मापन

हमने घर को कैसे नाप के बनाते हैं उसके बारे में सीखी थी हम ग्राउंड में जाकर रोड लगाएं और रस्सी से नाप कर एक ट्रायंगल से बनाएं और उसमें 10-10 मी का दीवाल बनाएं और वहां पर हम चुनाव भी डालें और अच्छे से बनाएं हमको सबको एक-एक नापने के लिए बोले और तुमने बहुत सीखा नापन

पाउडर कोटिंग

पाउडर कोटिंग हमने सबसे पहले दरवाजा को पाउडर कोटिंग के आर्डर कोचिंग सबसे पहले हमने थिनर से दरवाजा को साफ किया उसके बाद 5 मिनट बाद धूल और फ्रेंड में सुख दिए और उसके बाद हमने पाउडर मार कर हीटर में डाल दिए और उसके बाद हमने कल सुबह अगस्त चेक किया तो वह आर्डर कोडिंग हो गया था

1.वेल्डिंग

हमने फर्स्ट दिन स्कूल बनाने सीखे फर्स्ट में रोड लेकर आए और उनके माप लिए नाप लेने के बाद कटर से कट की और वेल्डिंग टेबल में रखें ट्रायंगल से नाप के जैसे सेट किए और उसके बाद वेल्डिंग करने लगे पूरे होने वेल्डिंग पूरे करने के बाद हमने ग्राइंडर मारे ग्राइंडर घूमने के बाद उसको पाउडर कोटिंग रूम में ले जाकर हमने उसको पाउडर कोटिंग किया हमारा स्कूल तैयार हो गया