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Practical -1
- आज हमे क्लास मे टुलस के बारे मे बतया गया कोनसा टुलस कीस काम आता हे
- ओर भी कई ऐसे टुलसो के बारे मे बतया गया जो की हम उपयोग मे लाते हे और इलेक्ट्रिकल जब हम काम करते हैं तो हमें कैसे सावधानियां बरतनी चाहिए उसके बारे में भी बताया गया जब करंट लगता है तो हमें क्या करना चाहिए इसके बारे में भी पूरी जानकारी दे गए और हम जब इलेक्ट्रिकल में काम करते हैं तो हम कौन-कौन से टूल्स ओं का प्रयोग करते हैं उसके बारे में बताया गया और हमारी जो सुरक्षा होती है उसके बारे में बताया गया
Solar Kukar (Stov)
Practical – 2
- हमने सोलर कुकर को सहि किया ओर उसकी सफाई की .
- सर ने हमको सेफ्टी के बारे में बताया
Cable Cannection
Practical – 3
- केबल कनेक्शन का काम किया गया जो तारे खराब थी वो बदली गई और उसकी जगह दूसरी डाली गई
Make electricity
Practical – 4
आज हमने सबसे अच्छा जिसमें विद्युत होता है उसके बारे में बताया गया जैसे मनुष्य गोल्ड कॉपर तांबा चांदी एलुमिनियम इन सब में सबसे अच्छा विद्युत मिलता है सबसे ज्यादा गोल्ड से मिलता है पर लेकिन इसका इस्तेमाल सिर्फ कुछ ही जगहों पर किया जाता है क्योंकि इसका मूल्य ज्यादा है तो हम ज्यादातर तांबा एलुमिनियम और आदि का उपयोग ज्यादा करते हैं
और हमें जब शौक लगता है तो हमें कैसे पता चलता है कि करंट लग रहा है जैसे अगर हमें हाथ में करंट लगे तो हमें संकेत मिल जाता है कि करंट लगा है इसलिए हम हाथ पीछे कर लेते हैं
और पानी से बिजली आती है या नहीं तो पानी से भी बिजली आती है इसका हमने प्रैक्टिकल भी किया जिसमें की हमने एक बर्तन में पानी लिया और एक बल्ब और 2 तारीख उसको जोड़कर रेड वाली कार बिग से काट दी ताकि एक जो उधर से आ रही है और एक जो बल पर है उन दोनों तरफ से पानी में डालेंगे तो जब हमने तार को पानी में डाला तो अगर तार दूर थी तो बल्ब हल्का सा रेड हो रहा था पर लेकिन जैसे-जैसे थोड़ी पास में ला रहे थे तो लाइट अच्छी चल रही थी उसके बाद सवालिया आता है की छार पानी से बिजली उत्पन्न होती है या नहीं तो। नमकीन। पानी से भी बिजली उत्पन्न होती है और बल्कि उस पानी से बहुत अच्छी बिजली उत्पन्न होती हैै
Earthing
Practical – 5
- आज क्लास में अर्थी के बारे में बताया गया प्लेट अर्थिंग अर्थिंग किसे कहते हैं जैसे किसी भी धातु या मशीन या उपकरण के धातु वाले हिस्से पर तार जोड़ कर उसे हम eath plate और earth electrode के साथ। मैं जो देते हैं इसे हम अर्थिंग या ग्राउंडिंग कहते हैं अर्थिंग तीन प्रकार की होती हैं और प्लेट अर्थिंग के बारे में हमें आज बताया गया
Multimeter
Practical – 6
- और फिर आज क्लास में अर्थिग के बारे में बताया गया और इसके कितने प्रकार होते हैं वोल्टेज और करंट के बारे में बताया गया और मल्टी मीटर से के बारे में और इससे ac और dc ke चेक करते हैं बताया गया फिर हमने बैटरी का dc चेक किया तो उसका वो बैटरी खराब निकली और र्जिस्टंस को ओम में गिनते है आज का पूरा टॉपिक आर्थिग के ऊपर ही था और ac और dc ke बारे मे ही बताया गया
DC AC
DC AC
weather–temperatures
Practical – 7
- आज क्लास में हमने सबसे पहले टेंपरेचर देखा आज के दिन का कितना टेंपरेचर है और वह देखा और फिर उसके ऊपर चर्चा की उसके बाद बारिश मापन के बारे में बताया गया कि हम कैसे कैसे बारिश माफ सकते हैं और उस को मापन से क्या फायदे हैं उसके बाद हमने एक बारिश मापन बनाया जिसमें की एक डिब्बा लिया और उस पर स्केल लगाया और बारिश मापन बनाया बारिश को मिली मीटर में मापा जाता है
Shock first aid
Practical – 8
उसके बाद आज हमने पास में बताया गया कि जब करंट लगता है तो हमें तुरंत क्या उपचार करना चाहिए उसका हमने प्रैक्टिकल भी किया जैसे दो पद्धतियां होती है सेफलर पद्धति और सिल्वेस्टर पद्धति इन दोनों का आज हमने प्रैक्टिकल किया यह दो पद्धतियां हम करंट लगने पर अपना सकते हैं उसके बाद केबल और। वायर। में अंतर बताया गया। वायर मीटर में मिलती है उसके बाद मैप के बारे में बताया गया हर चीज के अलग-अलग प्रकार से मैप बनाए जाते हैं जैसे खेती का अलग होता है और मिट्टी का अलग सब के अलग-अलग तरीके से बताए जाते हैं उसके बाद हमें वायर ज्वाइंट के बारे अलग-अलग प्रकार बताए गए जैसे
सुबह का लेक्चर था जिसमे टॉपिक था बारिश मापन उसमे हमे बारिश मापन के फायदे क्या है और इसका रिकॉर्ड रखना जरूरी है या नहीं बताया गया बारिश को मिली मीटर में गिनते है 1 साल का रिकॉर्ड रखकर आरेख़ बना सकते है इससे हमें आसानी होगी देखने में कि बारिश कम हुई है या ज्यादा
wire joint
Practical – 9
- टी ज्वाइंट
- मेरिड ज्वाइंट
- ब्रिटानिया ज्वाइंट
और इत्यादि भी ऐसे कई जॉइंट हैं जॉइंट ओं के बारे में बताया गया जॉइंट के अलग-अलग प्रकार को जानने के बाद प्रैक्टिकल के आ गया जिसमें वायर से हमने अलग-अलग प्रकार के जॉइंट बनाये
Solar Kukar
Practical – 10
- आज क्लास में हमने सबसे पहले अंडे उबालने के लिए रखे सोलर कुकर में और आज पूरी जानकारी सोलर के बारे में दी गई पूरा टॉपिक आज यही था हमने उसको कैसे इस्तेमाल करते हैं और उसका टेंपरेचर कितना सही होता है यह देखा और उसमें हमने अंडे उबालने के लिए रखे और फिर उसका टेंपरेचर भी देखा क्यों उसमें कितना सूर्य की किरणें जाती हैं उसके बाद हमें डरायर के बारे में बताया गया ज्यादा किरणों से भी वह खराब भी हो जाता है इसलिए उसका टेंपरेचर देख कर ही उसमें रख रखा जाता है डरायर की पद्धतियों के बारे में बताया गया ड्रायर करने के बाद उसका रेट कितना होता है यह बताया गया सौर कुकर सूर्य के प्रकाश से होता है इसके अन्य इसको अन्य ईंधन की जरूरत नहीं होती है यह ढाई सौ दिन तक चल सकता हैै
Bio Ges -Plant
Practical – 11
आज का लेक्चर बायोगैस उत्पादक के लिए आवश्यक पदार्थ यह आज का टॉपिक था लेक्चर का इसमें हमें बायोगैस संयंत्र और बायोगैस के फायदे बताए गए और बायोगैस ऊर्जा का एक ऐसा स्रोत है जिसका उपयोग बार-बार किया जा सकता है क्या आप जानते हैं कि इसका इस्तेमाल घरेलू तथा कृषि कार्यों के लिए भी किया जा सकता है बायोगैस सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का वह मिश्रण है जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जैविक सामग्री के विघटन से उत्पन्न होती है
- बायोगैस के घटक ____ बायोगैस विभिन्न घटकों का मिश्रण है इसके प्रमुख घटक मिथेन (55.75%) कार्बन डाइऑक्साइड (25.50%) और कुछ मात्रा में हाइड्रोजन ,नाइट्रोजन ,हाइड्रोजन सल्फाइड, कार्बन मोनोऑक्साइड ,अमोनिया इत्यादि
- इसके फायदे _______ इसके उपयोग से प्रदूषण नहीं होता है यानी यह पर्यावरण के लिए अच्छा होता है बायोगैस के कारण लकड़ी की बचत होती है जिससे पेड़ काटने की जरूरत नहीं होती गैस इंजन में उर्जा को बिजली और सीट में बदलने के लिए बायोगैस का इस्तेमाल किया जा सकता है
इसके बाद हमें स्टोव के बारे में बताया गया इसके अलग-अलग प्रकार भी बताए गए की कोई बत्ती वाले होते हैं और कोई बर्नल वाले होते हैं इन सभी का अलग-अलग तरीके से यह चलाए जाते हैं बत्ती वाला जो कि कम चलता है और बर्नल वाला ज्यादा चलता है स्टाफ के फायदे और नुकसान बताएं गए
और आज हमने बायोगैस का प्रैक्टिकल भी किया जिसमें कि हमने 25 किलोग्राम गोबर लिया और 25 लीटर पानी यह दोनों मिक्स करके बायोगैस में डाला गया और उसके बाद यह कैसा काम करता है देखा गया उसका जो बर्नल होता है उसके छेद बंद हो गए थे तो उनको भी दोबारा किया गया और उसकी पूरी जानकारी हमें दी गई आज हमने यह एक प्रैक्टिकल किया बायोगैस के बारे में पूरी चर्चा की गए
Solar Penal
Practical – 12
- हमें सौर लाईट के बारे में बताया गया और सोलर की हमने सफाई की पहले सोलर के लिए जो सामग्री चाहिए होती हैं उसके बारे में बताया गया जैसे मल्टी मीटर , सोल्जर सिस्टम ऊर्जा डायग्राम के बारे में बताया गया फिर जैसे पावर का सूत्र p= v*1 और फिर वेट निकलने के तरीके बताए गए सोलर सिस्टम के दो प्रकार जैसे 1) आन ग्रिड सिस्टम 2) ऑफ ग्रिड सिस्टम इनके बारे में बताया गया उसके बाद हमें इसकी सफाई केसे करनी चाहिए बताया गया जैसे पाईप से सफाई , रोबोट से सफाई और इत्यादि के बारे में बताया गया
diesel engine
Practical – 13
- Cylinder block (सिलेन्डर ब्लॉक)
- Piston & Piston Ring (पिस्टन व पिस्टन रिंग)
- Connecting Rod (कनेक्टिंग रॉड)
- Crank Shaft (क्रैंक शाफ्ट)
- Crankcase (क्रैंक केस)
- Cam Shaft ( केम शाफ़्ट)
- Valve (वाल्व)
- Cooling Water Jacket (वाटर जेकेट)
- Cylinder head (सिलेन्डर हेड)
यह (cast iron) ढलवा लोहा का बना होता है। यह सिलेन्डर हेड के नीचे रहता है। इसके अंदर पिस्टन, कनेक्टिंग रॉड, क्रैंक शाफ़्ट, केम शाफ़्ट, आदि होते है। इसके अंदर लाइनर भी होते है।
Piston & Piston Ring (पिस्टन व पिस्टन रिंग)
यह cast iron (दलवा लोहा) व aluminium alloy (एल्युमीनियम एलाय) के बने होते है। पिस्टन पर चार स्लॉट कटे हुऐ रहते है। इनमें पिस्टन रिंग लगी होती है। तीन स्लॉट में कम्प्रेशर रिंग लगी होती है। चौथी स्लॉट आयल रिंग होती है। जब हम पिस्टन को लाइनर में डालते तो पिस्टन की कम्प्रेशर रिंग लाइनर से सटी हुई रहती है। आयल रिंग व कम्प्रेशर रिंग High Pressure Gas (उच्च दबाव वाली गेस) को क्रैंक केस में जाने से रोकती है।
Connecting Rod (कनेक्टिंग रॉड)
कनेक्टिंग रॉड यह क्रैंक शाफ़्ट को पिस्टन से जोडती है मतलब पिस्टन से मिली पॉवर को क्रैंक शाफ़्ट को ट्रांसफर करती है। कनेक्टिंग रॉड का छोटा सिरा पिस्टन से जुड़ा होता है। बडा सिरा क्रैंक शाफ़्ट जुड़ा होता है।
Crank Shaft (क्रैंक शाफ्ट)
क्रैंक शाफ्ट कनेटिंग रॉड के एक सिरे से जुड़ी होती है और कनेटिंग रॉड का दूसरा सिरा पिस्टन से जुड़ा होता है। क्रैंक शाफ़्ट मे पिन, वेव, बलेंसिंग लोड, मेन बेयरिंग, होते है। क्रैंक केस में जो बेयरिंग होते है, वह क्रैंक शाफ़्ट को सपोर्ट करता है। क्रैंक शाफ़्ट के अगले सिरे पर नट, फैन बेल्ट पुल्ली, वाइब्रेशन डेमपर लगा होता है और क्रैंक शाफ़्ट के पिछले सिरे पर fly wheel (गति पालक चक्र) लगा होता है।
Crankcase (क्रैंक केस)
सिलेन्डर ब्लॉक के निचले भाग को क्रैंक केस कहते है। यह केम शाफ्ट और क्रैंक शाफ्ट के हाउजिंग का काम करता है। यह Cast Iron (कॉस्ट आयरन) ढलवाँ लोहा व Aluminium (अलुमिनियम) का बना होता है।
Cam Shaft ( केम शाफ़्ट)
केम शाफ़्ट का कार्य वाल्व को बंद करना और खोलना होता हैं। केम शाफ्ट पर केम लोब बने होते है। प्रत्येक सिलेन्डर के लिए केम शाफ्ट के ऊपर दो केम लोब बने होते है। एक inlet (इनलेट) वाल्व व outlet (आउटलेट) वाल्व के लिए बने होते है। केम शाफ़्ट के अगले सिरे पर गियर होते है। क्रैंक शाफ्ट में भी गियर होते है, जो की केम शाफ़्ट के गियर से जुड़े होते है। केम शाफ़्ट को क्रैंक शाफ़्ट से गति मिलती है।
क्रैंक शाफ्ट में गियर कम होते है, बल्कि केम शाफ़्ट में दुगने गियर होते है।
Valve (वाल्व)
वाल्व इंजन में बने पोर्ट को खोलता व बंद करता है। इसका उपयोग I.c मतलब internal combustion engine (इंटर्नल कैबशन इंजन) में किया जाता है। इन वाल्व की सेटिंग 30° से 40° ऐंगल पर टेपर रहती है।
प्रत्येक सिलेन्डर के ऊपर हेड में दो वाल्व लगे होते है।
- inlet valve (इनलेट वाल्व)
- outlet valve (आउटलेट वाल्व)
Inlet valve (इनलेट वाल्व)- इसका का काम पेट्रोल इंजन और डीजल इंजन में अलग अलग तरह से होता है।
Petrol engine पेट्रोल इंजन में इनलेट वाल्व से हवा व पेट्रोल का मिश्रण combination chamber (कैबशन चेम्बर) में जाता है, फिर कैबशन चेम्बर में वह स्पार्क प्लग से स्पार्किंग होकर जल जाता है। उसके बाद आउटलेट वाल्व खुलता है। जिससे एग्जास्ट गेस बाहर निकल जाती है।
Diesel engine डिजल इंजन में इनलेट वाल्व से शुद्ध हवा combustion chamber (कॉम्बिनेशन चेम्बर) में जाती है। जब पिस्टन b.d.c (बाटम डेट सेंटर) से t.d.c (टॉप डेट सेंटर) ओर आता है। तो शुद्ध हवा का टेम्प्रेचर (तापमान) high (ऊच्च) या ज्यादा हो जाता है। फिर इंजेक्टर से डिजल स्प्रे होता है। जिससे सिलेन्डर के ऊपर विस्फोट होता है।
उसके बाद आउटलेट वाल्व खुलता है। जिससे एग्जास्ट गेस बाहर निकल जाती है। यह वाल्व nickel chrome steel के होते है।
Outlet Valve (आउटलेट वाल्व)- यह वाल्व एग्जास्ट गेस बाहर निकलते है। यह वाल्व Silchrome steel के होते है।
Cooling Water Jacket (वाटर जेकेट)
इंजन में वाटर जैकेट इसलिए होते है। क्योंकि इंजन का तापमान बहुत high(उच्च) या ज्यादा रहता है। तो यह वाटर जैकेट इंजन ठंडा करते है। इंजन के अंदर का तापमान 1600℃ से 2800℃ तक रहता है। अगर इंजन को ठंडा नही करेंगे तो इंजन सीज हो जाएगा। ब्लॉक की दीवारो मैं होल या छेद या छिद्र होते है। जिसमे पानी भरा होता है।
इसमें वाटर पंप की सहयता से सिलेन्डर के चारों ओर लगी वाटर जेकेट से इंजन के चारो ओर पानी घूमता है। जब पानी गर्म होता है। तो पानी रेडिएटर में जाकर पानी ठंडा हो जाता है। यह प्रोसेस चलती रहती है।
Cylinder head (सिलेन्डर हेड)
यह (cast iron) ढलवा लोहा का बना होता है। यह सिलेन्डर ब्लॉक के ऊपर रहता है।इसमे रॉकर आर्म, वाल्व, गेस्किट, एग्गस्ट मनिफोल्ड आदि लगे होते है।
Series Parallel
Practical – 14
- किसी विद्युत परिपथ के विभिन्न अवयव (जैसे प्रतिरोध, प्रेरकत्व, संधारित्र, डायोड आदि) श्रृंखलाक्रम (सीरीज में) जुड़े हो सकते हैं, समानान्तर क्रम में जुड़े हो सकते हैं, या श्रृंखला-समानान्तर क्रम में जुड़े हो सकते हैं। श्रृंखलाक्रम में जुड़े सभी अवयवों में एकसमान विद्युतधारा प्रवाहित होती है।
श्रेणी (series ):-
श्रेणी क्रम में पहले रेजिस्टेंस का दूसरा सिरा दूसरे रेसिस्टेंस के पहले सिरे से तथा दूसरे रेसिसटेंस का दूसरा सिरा तीसरे रेसिसटेंस के पहले सिरे से जोड़ा जाता है। इस प्रकार रेजिस्टेंस को जोड़ने की विधि को श्रेणी क्रम कहते है
समानान्तर (Parallel):-
समानान्तर क्रम में तीनों रेजिस्टेंस के पहले सिरे एक साथ तथा बाद के सिरे एक साथ जोड़े जाते है। इस प्रकार रेजिस्टेंस जोड़ने की विधि को समानान्तर क्रम कहते है।\
इनके बारे में बताया गया है आज
Dumpy Level
Practical – 15
leveling
Practical – 16
Level, device for establishing a horizontal plane. It consists of a small glass tube containing alcohol or similar liquid and an air bubble; the tube is sealed and fixed horizontally in a wooden or metallic block or frame with a smooth lower surface. The glass tube is slightly bowed, and adjustment to the horizontal is indicated by movement of the bubble. The device is on a level surface when the bubble is in the middle of the glass tube. The level’s sensitivity is proportional to the radius of the curvature of the glass.
How to Safely Use a Level
Levels are simple in operation. Place the level’s frame on the object to be leveled (horizontal) or plumbed (vertical). Move the object until the bubble is in the center of the vial, typically marked. That’s it.
If working with a longer level, be careful when carrying or using it to ensure that the vials are not damaged. Most modern level vials are made of plastic.
Changeover Switch
Practical – 17
- चेन्ज ओवर स्विच
- पथ-परिवर्तन स्विच
- परिवर्तन स्विच
Plan Table
Practical – 17