बिजली बहुत उपयोगी होती है, लेकिन अगर सही तरीके से इस्तेमाल न की जाए तो खतरनाक भी हो सकती है। इसलिए कुछ जरूरी सुरक्षा नियम (Safety Rules) और उपकरण (Safety Devices) होते हैं।

  • यह बिजली की सबसे जरूरी सुरक्षा होती है।
  • अगर किसी वायर में लीकेज या शॉर्ट सर्किट हो जाए, तो करेंट धरती (Earth) में चला जाता है, न कि इंसान के शरीर में।
  • इससे बिजली का झटका (Electric Shock) नहीं लगता।
  • फ्यूज़ एक सुरक्षा तार होता है जो ज्यादा करंट आने पर जल जाता है।
  • इससे आगे के उपकरण खराब नहीं होते।
  • जैसे ही फ्यूज़ उड़ता है, बिजली कट जाती है — मतलब सिस्टम सुरक्षित।
  • यह फ्यूज़ की तरह काम करता है लेकिन ऑटोमैटिक होता है।
  • अगर शॉर्ट सर्किट या ओवरलोड हो, तो यह तुरंत ट्रिप होकर बिजली काट देता है।
  • इसे फिर से “ON” करके चालू किया जा सकता है।
  • यह इंसान को करंट लगने से बचाने वाला डिवाइस है।
  • अगर कहीं से करेंट लीक होकर शरीर में जाने लगता है, तो यह तुरंत बिजली काट देता है।
  • इसे अक्सर “लाइफ सेविंग स्विच” भी कहते हैं।
  • सभी तारों के ऊपर प्लास्टिक कवर होता है ताकि करेंट बाहर न आए।
  • इसे छेड़ना या काटना बहुत खतरनाक होता है।
  • कभी भी गीले हाथों से स्विच या प्लग न छुएँ।
  • बिजली के पोल, ट्रांसफार्मर, या खुले तारों से दूर रहें।

उपकरण: मल्टीमीटर (Multimeter)

  • मल्टीमीटर को Voltage मोड (V) पर सेट किया जाता है।
  • जिस बिंदु के बीच वोल्टेज मापना है, वहाँ
    • लाल प्रॉब → पॉज़िटिव बिंदु
    • काला प्रॉब → नेगेटिव/ग्राउंड बिंदु
      लगाया जाता है।
  • मीटर स्क्रीन पर वोल्टेज दिखाई देता है।

वोल्टेज दो प्रकार का हो सकता है:

  • AC Voltage (V~) → घर की बिजली
  • DC Voltage (V–) → बैटरी, चार्जर, सोलर आदि

उपकरण: मल्टीमीटर (A मोड) या Clamp Meter

  • मल्टीमीटर को Ampere (A) मोड पर सेट किया जाता है।
  • जिस तार से धारा गुजर रही है, उसके सीरिज में मल्टीमीटर लगाया जाता है।
    यानी करंट को मल्टीमीटर के अंदर से होकर गुजरना पड़ता है।
  • सिर्फ तार को clamp के अंदर ले जाना होता है।
  • मीटर बिना तार काटे करंट माप लेता है।

V=I×RV = I \times RV=I×R

  • V = वोल्टेज
  • I = करंट
  • R = रेज़िस्टेंस

क्या आप AC (घर की लाईन) का माप जानना चाहते हैं या DC (बैटरी/चार्जर) वाला?

1. योजना बनाना (Planning)

  • सबसे पहले यह तय किया जाता है कि बिजली की लाइन कहाँ-कहाँ ले जानी है।
  • तार की मोटाई (Cable Size), लोड (Load) और दूरी का हिसाब लगाया जाता है।

2. सप्लाई पॉइंट तय करना

  • घर/दुकान/जगह पर बिजली मीटर बॉक्स लगाया जाता है।
  • मुख्य सप्लाई (सर्विस वायर) बिजली विभाग से आती है।

3. वायरिंग मार्ग (Wiring Path) तैयार करना

  • दीवार में पाइप (Conduit) डाली जाती है या क्लिप द्वारा वायर लगाने का रास्ता बनाया जाता है।
  • स्विच-बोर्ड, सॉकेट और अन्य पॉइंट तय किए जाते हैं।

4. केबल डालना (Cable Laying)

  • पाइप/चैनल के अंदर
    • फेज तार (Red/Brown)
    • न्यूट्रल तार (Black/Blue)
    • अर्थिंग तार (Green)
      डाले जाते हैं।

5. बोर्ड और फिटिंग लगाना

  • स्विच, सॉकेट, बल्ब होल्डर, पंखे का पॉइंट और MCB (मिनी ब्रेकर) लगाया जाता है।
  • सब वायरिंग को DB बॉक्स (Distribution Board) में कनेक्ट किया जाता है।

6. अर्थिंग (Earthing)

यह सबसे ज़रूरी हिस्सा है—

  • जमीन में एक अर्थ रॉड लगाई जाती है।
  • हरे रंग का अर्थ वायर पूरे सिस्टम से जोड़ा जाता है।
    यह बिजली के झटकों और शॉर्ट सर्किट से सुरक्षा देता है।

7. परीक्षण (Testing)

  • इलेक्ट्रिशियन वोल्टेज, कन्टीन्यूटी, और अर्थिंग की जांच करता है।
  • उसके बाद ही बिजली विभाग सप्लाई चालू करता है।
  • घर की मुख्य लाइन खुद कभी नहीं लगानी चाहिए।
  • गलत वायरिंग से आग, शॉक और बड़ा खतरा हो सकता है।
  • हमेशा प्रशिक्षित इलेक्ट्रिशियन या बिजली विभाग से ही काम कराएँ।

मेन सप्लाई + मीटर लगाना

  • बिजली विभाग से सर्विस लाइन आती है।
  • आपका मुख्य MCB + मीटर बॉक्स लगाया जाता है।
  • घर के अनुसार मेन लाइन आमतौर पर 6 mm² या 10 mm² होती है।
  • Main MCB
  • MCBs for Rooms
  • RCCB/ELCB (Shock protection)
  • Neutral Bar
  • Earth Bar
  • फेज (Red/Brown)
  • न्यूट्रल (Blue/Black)
  • अर्थ (Green)
  • 6 mm² या
  • 1.5 mm² वायर
  • MCB : 10 Amp
  • 2.5 mm² वायर
  • MCB : 16 Amp
उपकरणवायर साइजMCB
AC 1 Ton4 mm²20–25 Amp
AC 1.5 Ton6 mm²25–32 Amp
Geyser4 mm²25 Amp
Fridge2.5 mm²16 Amp
Washing Machine2.5 mm²16 Amp

✔ Main Line → 10 mm²

✔ DB to Rooms → 2.5 mm² (Socket Circuit)

✔ Lights + Fan → 1.5 mm²

✔ Heavy Load (AC/Geyser) → 4 या 6 mm²

✔ Earthing → 4 mm² (Green)

बायोगैस क्या है?

बायोगैस एक प्राकृतिक गैस है जो जैविक कचरे (गोबर, रसोई कचरा, पौधे, मानव मल आदि) के सड़ने से बनती है। यह गैस मुख्य रूप से मीथेन (CH₄) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) से मिलकर बनी होती है।

बायोगैस कैसे बनती है?

बायोगैस एनेरोबिक डाइजेशन (ऑक्सीजन रहित वातावरण में सड़ने की प्रक्रिया) से मिलती है। इसके लिए एक बायोगैस प्लांट/डाइजेस्टर बनाया जाता है।

प्रक्रिया:

  1. गोबर या जैविक कचरे को पानी में मिलाकर स्लरी बनाते हैं
  2. इसे डाइजेस्टर टैंक में डालते हैं
  3. 20–40 दिन में बैक्टीरिया इसे तोड़कर गैस बनाते हैं
  4. गैस ऊपर इकट्ठी होकर पाइप से चूल्हे या बिजली जनरेटर तक जाती है

बायोगैस के उपयोग

  • रसोई में खाना बनाने में (गैस चूल्हे जैसा)
  • बिजली उत्पादन
  • लाइट या गर्म पानी बनाने में
  • स्लरी से जैविक खाद (ऑर्गेनिक फर्टिलाइज़र)

बायोगैस के फायदे

  • सस्ती और नवीकरणीय ऊर्जा
  • पर्यावरण के अनुकूल
  • धुआँ नहीं बनता, स्वास्थ्य को नुकसान नहीं
  • गांवों में गैस सिलेंडर की जरूरत कम
  • खेतों के लिए बेहतरीन जैविक खाद मिलती है

किन चीज़ों से बायोगैस बनती है

  • गाय/भैंस/बकरी का गोबर
  • रसोई का कचरा
  • फसल अवशेष
  • गंदे पानी की सिल्ट
  • मानव मल
  • बैटरी में पानी कैसे डालते हैं (साधारण तरीका)
  • गाड़ी/इन्वर्टर बंद करें
    सुरक्षा के लिए बैटरी को OFF करें।
  • बैटरी के ढक्कन खोजें
    अधिकतर लेड-एसिड बैटरियों में 4–6 छोटे कैप (ढक्कन) होते हैं।
  • ढक्कन खोलें
    कैप को धीरे से घुमाकर या ऊपर उठाकर खोलें।
  • लेवल मार्क देखें
    बैटरी के अंदर MIN और MAX लेवल होता है।
    पानी MIN से कम नहीं होना चाहिए और MAX से ऊपर नहीं जाना चाहिए।
  • केवल डिस्टिल्ड वॉटर (RO नहीं)
    बैटरी में हमेशा डिस्टिल्ड वॉटर ही डालें।
  • धीरे-धीरे पानी डालें
    फनल (चौड funnel) का उपयोग करें और MAX लेवल तक भरें — ज़्यादा नहीं।
  • ढक्कन वापस बंद करें
    सभी कैप अच्छे से बंद करें ताकि एसिड बाहर न निकले।
  • बैटरी ON करें और जांचें
    सब कुछ ठीक से काम कर रहा है या नहीं।

यहाँ इलेक्ट्रिकल सीरिज (Series) और पैरेलल (Parallel) कनेक्शन की आसान और साफ जानकारी दे रहा हूँ।
आपको बिल्कुल सरल भाषा में समझाया है, साथ में ASCII डायग्राम भी दे रहा हूँ (यह डायग्राम बनाना सुरक्षित और allowed है)।

सीरिज (Series) कनेक्शन क्या होता है?

जब दो या ज़्यादा इलेक्ट्रिकल उपकरण / बैटरी / लाइटें एक के बाद एक जोड़ते हैं, तो उसे सीरिज कनेक्शन कहते हैं।

विशेषताएँ

  • करंट (Current) सभी में बराबर बहता है
  • वोल्टेज (Voltage) जुड़ जाते हैं (add)
  • एक डिवाइस खराब हुआ = पूरी लाइन बंद

Series का डायग्राम (सरल चित्र)

+ -----[Bulb 1]-----[Bulb 2]-----[Bulb 3]----- -

उदाहरण

जैसे क्रिस्मस लाइट की पुरानी लड़ियाँ — एक बल्ब निकला तो सारी लाइटें बंद।

पैरेलल (Parallel) कनेक्शन क्या होता है?

जब सभी उपकरणों को अलग-अलग शाखा (branch) में एक ही पॉवर सोर्स से जोड़ा जाए, उसे पैरेलल कनेक्शन कहते हैं।

विशेषताएँ

  • वोल्टेज (Voltage) सबमें समान रहता है
  • करंट (Current) अलग-अलग बाँट जाता है
  • एक डिवाइस खराब हुआ = बाकी चलते रहेंगे

Parallel का डायग्राम

|---[Bulb 1]---| + ------|---[Bulb 2]---|------ - |---[Bulb 3]---|

उदाहरण

घर की सारी लाइटें और पंखे पैरेलल में ही जुड़े होते हैं।

सीरिज और पैरेलल में फर्क (Important Differences)

पॉइंटसीरिज (Series)पैरेलल (Parallel)
करंटसभी में बराबरबाँट जाता है
वोल्टेजजुड़ जाता हैसबमें समान
एक खराब हुआपूरी लाइन बंदबाकी चलते रहेंगे
उपयोगबैटरी पैक, LED स्ट्रिपघर की वायरिंग, पंखे, लाइट्स

अगर आप चाहें तो मैं और भी साफ़ इमेज (डायग्राम) बनाकर दे सकता हूँ —
• केवल सीरिज का
• केवल पैरेलल का
या दोनों का एक साथ।

क्या आप चित्र वाला या वीडियो जैसा समझाने वाला डायग्राम चाहते हैं?

इलेक्ट्रिकल में उपयोग होने वाले मुख्य वायर के प्रकार

सिंगल कोर वायर (Single Core Wire)

  • इसमें सिर्फ एक तांबे या एल्युमिनियम का तार होता है।
  • घरों की वायरिंग में सबसे ज्यादा उपयोग होता है।
  • फायदा: मजबूत, कम टूटने वाला, आसानी से इंस्टॉल होता है।

मल्टी कोर वायर (Multi Core Wire)

  • इसमें कई पतले-पतले तार एक साथ बंडल के रूप में होते हैं।
  • फ्लेक्सिबल होते हैं, झुकने वाले उपकरणों में उपयोग होता है।
  • उपयोग: पंखा, मिक्सर, आयरन, मोटर आदि।

फ्लेक्सिबल वायर (Flexible Wire)

  • मल्टीकोर तारों से बना होता है।
  • बेहद लचीला (flexible) होता है।
  • जहाँ मोड़ना/झुकाना पड़ता है वहाँ उपयोग होता है

ट्विन वायर / लैम्प वायर (Twin Wire)

  • साथ में दो तार होते हैं — पॉजिटिव और नेगेटिव।
  • लैंप, चार्जर, छोटे उपकरणों में उपयोग।

थ्री कोर वायर (Three Core Wire)

  • इसमें 3 तार होते हैं:
    1. लाइव (L)
    2. न्यूट्रल (N)
    3. अर्थ (E)
  • फ्रिज, कूलर, पम्प, मोटर में उपयोग।

आर्मर्ड केबल (Armoured Cable – AC / XLPE Cable)

  • भारी और मजबूत केबल, लोहे की परत से ढकी।
  • जमीन के अंदर बिछाने (Underground) में उपयोग।
  • 440V या उससे ज्यादा लोड के लिए।

कोएक्सियल केबल (Coaxial Cable)

  • टीवी, CCTV, इंटरनेट कनेक्शन के लिए।

फाइबर ऑप्टिक केबल (Fiber Optic Cable)

  • हाई-स्पीड इंटरनेट के लिए।
  • इसमें धातु नहीं, कांच/प्लास्टिक फाइबर होते हैं।

हीट रेसिस्टेंट वायर (Heat Resistant Wire)

  • हीटर, गीजर, ओवन जैसे ज्यादा गर्मी वाले उपकरणों में।

सार (Summary)

वायर का प्रकारउपयोग
सिंगल कोरघरेलू वायरिंग
मल्टीकोर/फ्लेक्सउपकरणों में
थ्री कोरमोटर/पम्प
आर्मर्ड केबलजमीन में, हाई वोल्टेज
कोएक्सियलटीवी/इंटरनेट
फाइबर ऑप्टिकहाई स्पीड डेटा
हीट रेसिस्टेंटहीट वाले उपकरण