आरसीसी कॉलम का प्रैक्टिकल (RCC Column Practical)
आरसीसी कॉलम (Reinforced Cement Concrete Column) का प्रयोग भवन निर्माण में संरचना को मजबूती देने के लिए किया जाता है। इस प्रैक्टिकल में कॉलम के निर्माण की प्रक्रिया को समझना और उसे सही तरीके से बनाना सिखाया जाता है। नीचे दिए गए चरणों में आरसीसी कॉलम के निर्माण की प्रक्रिया समझाई गई है:
- सामग्री की तैयारी (Material Preparation):
सीमेंट: अच्छे गुणवत्ता वाला सीमेंट उपयोग करें, जो IS मानकों के अनुसार हो।
सेंड (रेत): अच्छी तरह से sifted रेत होनी चाहिए, जिसमें कोई भी मलबा या मिट्टी न हो।
गिट्टी (ग्रैवल): गिट्टी का आकार सामान्यतः 10 से 20 मिमी तक होना चाहिए।
स्टील (Reinforcement): स्टील की रॉड्स का आकार और संख्या कॉलम के डिज़ाइन के अनुसार होती है।
- मोल्ड की स्थापना (Formwork Setup):
कॉलम को बनाने के लिए मोल्ड या फॉर्मवर्क की जरूरत होती है। यह मोल्ड लकड़ी, स्टील, या प्लास्टिक का हो सकता है।
मोल्ड को मजबूती से स्थापित करें ताकि कंक्रीट डालने के दौरान कोई शिफ्टिंग न हो।
- सैनिटेशन और स्टील की फिटिंग (Bar Bending and Placement of Steel):
कॉलम में आवश्यक स्टील रॉड्स को बेंड करके उनके अनुसार फिट करें।
इस प्रक्रिया में कॉलम की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई के अनुसार स्टील की संख्या और उनकी बेंडिंग को सही तरीके से किया जाता है।
स्टील को मोल्ड में सही जगह पर रखें और सुनिश्चित करें कि स्टील के रॉड्स मोल्ड की दीवारों से थोड़ा सा दूरी बनाए रखें ताकि कंक्रीट अच्छे से बंध सके।
- कंक्रीट मिक्सिंग (Concrete Mixing):
कंक्रीट के लिए सीमेंट, सैंड और ग्रैवल को उपयुक्त अनुपात में मिलाकर एक मजबूत मिश्रण तैयार करें। सामान्य अनुपात 1:2:4 (सीमेंट:रेत:गिट्टी) होता है, लेकिन डिज़ाइन के अनुसार यह बदल भी सकता है।
इस मिश्रण को मिक्सिंग ड्रम में अच्छे से मिलाएं ताकि कंक्रीट का टेक्सचर समान हो।
- कंक्रीट डालना (Concrete Pouring):
तैयार कंक्रीट मिश्रण को कॉलम के मोल्ड में धीरे-धीरे डालें।
कंक्रीट डालते समय यह ध्यान रखें कि कोई भी खाली जगह न रहे, और मिश्रण पूरी तरह से भर जाए।
कंक्रीट को डालते समय वाइब्रेटर का इस्तेमाल करें ताकि उसमें कोई हवा की जगह न हो और कंक्रीट के भीतर हवा न trapped हो जाए।
- कंक्रीट की सेटिंग (Concrete Curing):
कंक्रीट डालने के बाद, उसे 7 से 28 दिनों तक उचित तरीके से क्यूरी (Curing) करना होता है।
क्यूरी करने के लिए पानी का छिड़काव या क्यूरी की अन्य विधियों का उपयोग किया जा सकता है ताकि कंक्रीट को पूरी ताकत हासिल हो सके।
- मोल्ड हटाना (Removing the Formwork):
कंक्रीट के उचित सेट होने के बाद, मोल्ड को हटा लें।
मोल्ड को हटाते समय यह सुनिश्चित करें कि कॉलम की सतह में कोई नुक़सान न हो और उसकी मजबूती बनी रहे।
- फिनिशिंग और टेस्टिंग (Finishing and Testing):
कॉलम की सतह को चिकना करने के लिए टूल्स का इस्तेमाल करें।
कॉलम का निरीक्षण करें और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी दोष न हो।
अगर आवश्यक हो, तो कॉलम की मजबूती जांचने के लिए सैंपल्स को टेस्ट किया जा सकता है।
सारांश:
आरसीसी कॉलम के निर्माण में सही सामग्रियों का चयन, सही मोल्डिंग और स्टील फिटिंग, कंक्रीट का सही मिश्रण और क्यूरी प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण होती है। इन सभी प्रक्रियाओं को सही तरीके से करने से कॉलम की मजबूती और सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
आरसीसी कॉलम का
पाउडर कोटिंग प्रैक्टिकल (Powder Coating Practical)
पाउडर कोटिंग एक सतही उपचार प्रक्रिया है, जिसका उपयोग धातु की वस्तुओं पर सुरक्षा और सुंदरता बढ़ाने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में पाउडर का उपयोग किया जाता है, जो कि एक तरह का ड्राई कोटिंग मैटीरियल होता है। पाउडर कोटिंग आमतौर पर एलेक्ट्रोस्टैटिक प्रक्रिया द्वारा की जाती है, जिसमें पाउडर को एक इलेक्ट्रिक चार्ज के माध्यम से धातु की सतह पर लगाया जाता है। पाउडर कोटिंग से वस्तु की सतह पर एक मजबूत और ड्यूरेबल परत बनती है जो खरोंच, दरार, रस
- सामग्री की तैयारी (Preparation of Materials):
पाउडर कोटिंग के लिए सबसे पहले सही प्रकार का पाउडर चुना जाता है। यह पाउडर विभिन्न रंगों और प्रकारों में उपलब्ध होता है, जैसे कि पोलियेस्टेर, एपॉक्सी, और उनके मिश्रण।
वस्तु जिसे कोटिंग करना है, जैसे कि धातु की कोई वस्तु (जैसे गेट, रेलिंग, वाहन के पुर्जे आदि), की सतह को अच्छी तरह से साफ किया जाता है। इसमें धूल, गंदगी, तेल, और जंग आदि को हटाना होता है।
- सतह की सफाई (Surface Cleaning):
कोटिंग से पहले सतह को पूरी तरह से साफ करना आवश्यक होता है। इसके लिए रासायनिक या फिजिकल सफाई विधियों का उपयोग किया जा सकता है।
सबसे सामान्य तरीके में रासायनिक सफाई (जैसे Phosphating, Sandblasting) और धुलाई शामिल है।
- इलेक्ट्रोस्टैटिक चार्जिंग (Electrostatic Charging):
पाउडर कोटिंग मशीन में पाउडर को इलेक्ट्रोस्टैटिक चार्ज किया जाता है।
एक स्प्राय गन का उपयोग करते हुए पाउडर को वस्तु की सतह पर धकेला जाता है। पाउडर में विद्युत आवेश होता है, जो धातु की वस्तु की सतह पर चिपकता है।
- पाउडर कोटिंग का आवेदन (Powder Application):
पाउडर को सतह पर समान रूप से और उचित दबाव के साथ छिड़का जाता है।
पाउडर का सही आवेदन सुनिश्चित करने के लिए स्प्राय गन को वस्तु के चारों ओर सही एंगल से चलाना होता है।
- पाउडर की बेकिंग (Powder Baking):
एक बार पाउडर को सतह पर लगा दिया जाता है, तो उसे एक उच्च तापमान वाली ओवन में रखा जाता है।
ओवन में पाउडर को 180-200 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर बेक किया जाता है, जिससे पाउडर पिघल कर एक समान, चिकनी और मजबूत परत बना लेता है।
- ठंडा होने और निरीक्षण (Cooling and Inspection):
बेक
(RCC Column Practical)
आरसीसी कॉलम (Reinforced Cement Concrete Column) का प्रयोग भवन निर्माण में संरचना को मजबूती देने के लिए किया जाता है। इस प्रैक्टिकल में कॉलम के निर्माण की प्रक्रिया को समझना और उसे सही तरीके से बनाना सिखाया जाता है। नीचे दिए गए चरणों में आरसीसी कॉलम के निर्माण की प्रक्रिया समझाई गई है:
- सामग्री की तैयारी (Material Preparation):
सीमेंट: अच्छे गुणवत्ता वाला सीमेंट उपयोग करें, जो IS मानकों के अनुसार हो।
सेंड (रेत): अच्छी तरह से sifted रेत होनी चाहिए, जिसमें कोई भी मलबा या मिट्टी न हो।
गिट्टी (ग्रैवल): गिट्टी का आकार सामान्यतः 10 से 20 मिमी तक होना चाहिए।
स्टील (Reinforcement): स्टील की रॉड्स का आकार और संख्या कॉलम के डिज़ाइन के अनुसार होती है।
- मोल्ड की स्थापना (Formwork Setup):
कॉलम को बनाने के लिए मोल्ड या फॉर्मवर्क की जरूरत होती है। यह मोल्ड लकड़ी, स्टील, या प्लास्टिक का हो सकता है।
मोल्ड को मजबूती से स्थापित करें ताकि कंक्रीट डालने के दौरान कोई शिफ्टिंग न हो।
- सैनिटेशन और स्टील की फिटिंग (Bar Bending and Placement of Steel):
कॉलम में आवश्यक स्टील रॉड्स को बेंड करके उनके अनुसार फिट करें।
इस प्रक्रिया में कॉलम की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई के अनुसार स्टील की संख्या और उनकी बेंडिंग को सही तरीके से किया जाता है।
स्टील को मोल
वेल्डिंग प्रैक्टिकल (Welding Practical) का उद्देश्य धातु को जोड़ने की प्रक्रिया को सही ढंग से समझना और उसे कार्यान्वित करना है। वेल्डिंग में दो या दो से अधिक धातु के टुकड़ों को जोड़ने के लिए गर्मी या दबाव का उपयोग किया जाता है। यहां वेल्डिंग के प्रैक्टिकल से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं:
वेल्डिंग के प्रकार:
- ARC Welding (एसी या डीसी वेल्डिंग): इसमें इलेक्ट्रोड की मदद से धातु को गर्म करके जोड़ा जाता है।
- MIG Welding (Metal Inert Gas Welding): इसमें धातु के तार का उपयोग किया जाता है और शील्डिंग गैस का इस्तेमाल होता है।
- TIG Welding (Tungsten Inert Gas Welding): इसमें टंग्सटन इलेक्ट्रोड का प्रयोग होता है और शील्डिंग गैस का उपयोग किया जाता है।
- Oxy-Acetylene Welding: इसमें ऑक्सीजन और एसीटिलिन गैस का मिश्रण जलाकर धातु को गर्म किया जाता है।
वेल्डिंग प्रैक्टिकल के लिए आवश्यक उपकरण:
- वेल्डिंग मशीन (Welding Machine): वेल्डिंग के लिए वोल्टेज और करंट देने वाला उपकरण।
- वेल्डिंग हेलमेट (Welding Helmet): आंखों को सुरक्षा देने के लिए।
- वेल्डिंग ग्लव्स (Welding Gloves): हाथों की सुरक्षा के लिए।
- चाकू और हुक (Chisel and Hook): वेल्डेड जॉइंट की सफाई के लिए।
- वेल्डिंग फ्लक्स (Welding Flux): वेल्डिंग के दौरान धातु को शुद्ध रखने के लिए।
वेल्डिंग प्रैक्टिकल प्रक्रिया:
- सुरक्षा उपाय: सबसे पहले, वेल्डिंग हेलमेट, ग्लव्स और अन्य सुरक्षा उपकरण पहनें।
- धातु की तैयारी: वेल्डिंग से पहले दोनों धातुओं की सफाई करें ताकि वेल्ड अच्छी तरह से हो।
- वेल्डिंग सेटअप: वेल्डिंग मशीन का करंट और वोल्टेज सेट करें, जैसा कि वेल्डिंग प्रक्रिया के लिए आवश्यक हो।
- वेल्डिंग: इलेक्ट्रोड या वेल्डिंग तार को धातु की जोड़ी पर रखते हुए वेल्डिंग प्रक्रिया को शुरू करें। इलेक्ट्रोड को स्विंग करते हुए दोनों धातु के टुकड़ों को जोड़ें।
- शीतलन और सफाई: वेल्डिंग के बाद, वेल्डेड जोड़ों को ठंडा होने दें और फिर उनका निरीक्षण करें।
वेल्डिंग में आम समस्याएं और समाधान:
- स्पैट्टरिंग (Sputtering): अधिक करंट या गलत तकनीक से धातु उछल सकती है। इसे सही करंट और वेल्डिंग गति से सुधारा जा सकता है।
- गलत वेल्ड जॉइंट: सही इलेक्ट्रोड का चयन और वेल्डिंग की सही दिशा से इसे ठीक किया जा सकता है।
- क्रैकिंग (Cracking): अधिक तापमान या गलत तकनीक से क्रैक हो सकते हैं। इसे नियंत्रित तापमान पर वेल्डिंग करके रोका जा सकता है।
वेल्डिंग प्रैक्टिकल के फायदे:
- धातु जोड़ने की दक्षता: वेल्डिंग से विभिन्न प्रकार की धातुओं को जोड़ सकते हैं।
- लचीलापन: वेल्डिंग तकनीकों को कई उद्योगों में लागू किया जा सकता है।
- कम लागत: वेल्डिंग मशीन और उपकरण की कीमत अपेक्षाकृत कम होती है, जिससे यह आर्थिक रूप से फायदे में होता है।
वेल्डिंग एक कौशल है जिसे अभ्यास से बेहतर किया जा सकता है।
मापन (Mapping)
प्लंबिंग प्रैक्टिकल (Plumbing Practical) का उद्देश्य जल आपूर्ति, जल निकासी, और पाइपलाइन से संबंधित विभिन्न कार्यों को समझना और सही तरीके से उन्हें लागू करना है। इसमें पानी की पाइपलाइन, नल, टंकी, सीवर लाइन और अन्य जलवापसी प्रणालियों की मरम्मत, स्थापना और निरीक्षण से जुड़े कार्य शामिल होते हैं।
- सुरक्षा उपाय (Safety Precautions)
सुरक्षात्मक उपकरण: प्लंबिंग काम करते समय दस्ताने, सुरक्षा चश्मे और उचित कपड़े पहनें। इस प्रकार की कार्य में पानी और अन्य रसायनों से बचाव जरूरी है।
पानी की आपूर्ति बंद करें: प्लंबिंग कार्य शुरू करने से पहले मुख्य जल आपूर्ति बंद कर दें ताकि पानी बहने से बच सके।
सुरक्षित उपकरणों का उपयोग करें: पाइप, टूल्स और उपकरणों का सही तरीके से उपयोग करें ताकि कोई चोट या समस्या न हो।
- प्लंबिंग उपकरण (Plumbing Tools)
पाइप रेंच (Pipe Wrench): पाइप को मजबूती से पकड़ने और मोड़ने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।
कटर (Pipe Cutter): पाइप को काटने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
सॉ (Hacksaw): यह भी पाइप को काटने के लिए प्रयोग में लाया जाता है, खासकर जब पाइप छोटा हो।
तेल लगाने का उपकरण (Lubricating Tool): पाइप जोड़ों में सही फिटिंग के लिए।
सिलिकॉन सीलेंट (Silicone Sealant): पाइप के जोड़ों को सील करने के लिए।
स्माल टूल्स: स्क्रू ड्राइवर, प्लंबर की चिमटी, लेवल मीटर और हिटर का उपयोग कई कामों के लिए किया जाता है।
- पाइपलाइन इंस्टॉलेशन (Pipe Installation)
पाइप का चुनाव: पहले यह तय करें कि किस प्रकार के पाइप (PVC, CPVC, GI, आदि) का इस्तेमाल किया जाएगा, यह निर्भर करता है जल आपूर्ति प्रणाली पर।
पाइप की माप और कटाई: पाइप की माप लेकर उसे सही आकार में काटें। काटते समय ध्यान रखें कि कोई तिखी कटी हुई किनारी न हो, जो लीकिंग का कारण बन सकती है।
पाइप जोड़ों का सही कनेक्शन: पाइप जोड़ों को जोड़ते समय, उन्हें सही ढंग से फिट करें और सिलिकॉन सीलेंट का उपयोग करें ताकि कोई लीक न हो।
पाइप का सही ढलान: पाइप को इस तरह से लगाएं कि जल निकासी अच्छे से हो। ढलान का ध्यान रखें, जिससे पानी एक दिशा में बह सके।
- नल और फिटिंग्स की स्थापना (Faucet and Fittings Installation)
नल का चयन और इंस्टॉलेशन: नल को पाइप के साथ जोड़ने के लिए, उसे सही तरीके से फिट करना जरूरी है। नल के साथ पाइप को जोड़ने के लिए एक अच्छे सीलेंट या टेप का उपयोग करें।
टैप की फिटिंग: नल को फिट करते समय, यह सुनिश्चित करें कि पाइप से नल कनेक्ट हो गया है और इसमें कोई लीक न हो।
- जल निकासी प्रणाली (Drainage System)
सीवर पाइप लाइन का इंस्टॉलेशन: जल निकासी प्रणाली के लिए सीवर पाइपलाइन का सही स्थान पर और सही ढंग से इंस्टॉलेशन करें। सीवर पाइपों को भी सही ढलान और फिटिंग के साथ जोड़ना जरूरी है।
सिंक और शावर की पाइपलाइन: सिंक और शावर के पाइपलाइन को स्थापित करते समय यह सुनिश्चित करें कि जंग से बचने के लिए पाइप सील और उचित फिटिंग का इस्तेमाल किया गया है।
- पानी की टंकी इंस्टॉलेशन (Water Tank Installation)
टंकी की सही जगह का चुनाव: पानी की टंकी को स्थापित करने से पहले, एक ऐसी जगह का चयन करें जो मजबूत हो और पानी के दबाव को सही से सहन कर सके।
टंकी से पाइप कनेक्शन: पानी की टंकी को पाइप के माध्यम से जोड़ें और सुनिश्चित करें कि किसी भी प्रकार की लीकिंग न हो।
- प्लंबिंग मरम्मत (Plumbing Repair)
लीक की मरम्मत: अगर पाइप में लीक हो, तो सबसे पहले पानी की आपूर्ति बंद करें और लीक वाले स्थान पर सिलिकॉन सीलेंट या पाइप जोड़ों को फिर से जोड़ें।
कनेक्शन की जांच करें: पाइप के कनेक्शनों की जाँच करें और सुनिश्चित करें कि कोई जोड़ ढीला या लीक नहीं हो।
वॉश बेसिन और शावर की मरम्मत: यदि वॉश बेसिन, शावर या नल में कोई समस्या हो तो उसे खोलकर, साफ करके ठीक करें।
- **स्नानघर
का उद्देश्य भूमि और अन्य भौतिक विशेषताओं का सही तरीके से माप करना और उनका रिकॉर्ड बनाना होता है। यह विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगी है जैसे निर्माण, वास्तुकला, भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण, और अन्य भौतिक विज्ञानों में। मापन प्रैक्टिकल में उपकरणों और तकनीकों का सही उपयोग करना सिखाया जाता है।
- सुरक्षा उपाय (Safety Precautions)
सुरक्षा उपकरण: मापने के दौरान यह सुनिश्चित करें कि आप सही सुरक्षा उपकरण पहन रहे हैं जैसे दस्ताने और सुरक्षा चश्मे।
स्थल का निरीक्षण: मापने से पहले सुनिश्चित करें कि स्थान सुरक्षित है और कोई भी रुकावट नहीं है, जैसे कि खतरनाक स्थल या ऊँचाई।
- मापन उपकरण (Measuring Tools)
मापने की पट्टी (Measuring Tape): यह उपकरण सामान्य मापने के लिए उपयोग होता है, खासकर छोटे दूरी के लिए।
आल्टीमीटर (Altimeter): ऊँचाई मापने के लिए उपयोग किया जाता है, विशेष रूप से पर्वतारोहण या ऊँचाई मापने के काम में।
थ्योडोलाइट (Theodolite): यह उपकरण कोणों का माप करने के लिए प्रयोग किया जाता है, खासकर सटीक सर्वेक्षणों में।
गैट (Ghat): ज़मीन पर ऊँचाई और नीचाई मापने के लिए।
जीपीएस (GPS): आधुनिक मापने का उपकरण जो भौगोलिक स्थिति और स्थान की सटीक जानकारी देता है।
चुंबकीय कम्पास (Magnetic Compass): दिशा मापने के लिए उपयोग होता है।
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बंदकाम प्रैक्टिकल (Locking Work Practical) का मतलब है ताले, चाबियाँ और उनकी फिटिंग से जुड़ा कार्य। इस प्रैक्टिकल में विभिन्न प्रकार के ताले (Locking Systems) और उनके इंस्टॉलेशन, मरम्मत, और बनाए जाने का तरीका सिखाया जाता है। इसे विभिन्न स्थानों पर, जैसे दरवाजे, अलमारी, और बक्सों पर ताले लगाने के लिए किया जाता है।
- सुरक्षा उपाय (Safety Precautions)
सुरक्षा उपकरण: बंदकाम के दौरान चाबियाँ और ताले के साथ काम करते समय दस्ताने पहनना चाहिए ताकि हाथों को चोट न लगे।
ठीक से टूल्स का प्रयोग: यह सुनिश्चित करें कि आप सही टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं, जैसे चाबियाँ, ताले, ड्रिल मशीन, और स्क्रू ड्राइवर।
ठीक से कील और स्क्रू की स्थिति: ताले और चाबियाँ सही स्थिति में लगाएं ताकि सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
- बंदकाम उपकरण (Locking Tools)
ताले (Locks): विभिन्न प्रकार के ताले जैसे पैडलॉक, सिंगल और डबल लॉक, और टेम्पर लॉक उपयोग किए जाते हैं।
चाबियाँ (Keys): ताले खोलने के लिए चाबियाँ आवश्यक होती हैं। इनका आकार और डिज़ाइन विभिन्न ताले के लिए भिन्न हो सकते हैं।
ड्रिल मशीन: ताले और लॉक के इंस्टॉलेशन के लिए ड्रिल मशीन का उपयोग किया जाता है, जिससे कील या स्क्रू ठीक से फिट हो सकें।
स्क्रू ड्राइवर: ताले को ठीक से स्क्रू करने के लिए यह एक अहम उपकरण है।
- ताले की मरम्मत और रिपेयर (Lock Repair and Maintenance)
ताले की सफाई: समय-समय पर ताले की सफाई करनी चाहिए ताकि उसमें जंग न लगे और वह ठीक से काम करें। इसके लिए ताले को खोलकर, उन्हें साफ करें और फिर चिली (lubricant) का इस्तेमाल करें।
जाम ताला खोलना: यदि ताला जाम हो जाए, तो उसे खोलने के लिए सही तरीका अपनाना चाहिए। कभी-कभी ताले में गंदगी या जंग फंस जाती है, जो इसे जाम कर देती है।
चाबी की मरम्मत: यदि चाबी टूट जाती है या दुरु
रंग काम का प्रैक्टिकल (Painting Work Practical) निम्नलिखित चरणों में किया जाता है:
- सुरक्षा उपाय (Safety Precautions)
सुरक्षात्मक उपकरण: रंगाई करते समय सुरक्षा चश्मे, दस्ताने, मास्क और उचित कपड़े पहनें। कुछ रासायनिक रंगों से होने वाली समस्याओं से बचने के लिए ये सुरक्षा आवश्यक होते हैं।
हवादारी: रंगाई करते समय कमरे में उचित हवादारी होनी चाहिए, ताकि रंग और सॉल्वेंट्स के धुएं से कोई समस्या न हो।
अग्नि सुरक्षा: रंग में मौजूद कुछ रसायन ज्वलनशील हो सकते हैं, इसलिए आग से बचाव के उपायों को सुनिश्चित करें।
- सतह की सफाई (Surface Preparation)
सतह की सफाई: रंगाई से पहले दीवार या सतह को अच्छी तरह से साफ करना ज़रूरी है। धूल, ग्रीस, जंग और पुराना रंग हटाने के लिए आप ब्रश, साबुन और पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सतह की मरम्मत: अगर दीवार पर दरारें या छेद हैं, तो उन्हें भरने के लिए प्लास्टर या अन्य रिपेयर सामग्री का उपयोग करें।
- प्राइमर का प्रयोग (Using Primer)
प्राइमर का उपयोग: प्राइमर का उपयोग रंगाई से पहले करना चाहिए। यह रंग को अच्छी तरह से चिपकने में मदद करता है और सतह को समतल करता है। इसे ब्रश, रोलर या स्प्रे के माध्यम से लगाया जा सकता है।
- रंग का चयन (Color Selection)
रंग का चयन: कार्य के प्रकार और कमरे के माहौल के अनुसार रंग का चयन करें। आप इंटीरियर्स के लिए तेल आधारित या पानी आधारित रंगों का उपयोग कर सकते हैं।
मिश्रण: रंग को अच्छे से मिलाना ज़रूरी है ताकि उसका रंग समान रहे।
- रंगाई का तरीका (Painting Technique)
ब्रश से रंगाई: छोटे क्षेत्रों या विवरण के लिए ब्रश का उपयोग करें। ब्रश को धीरे-धीरे और समान दिशा में चलाएं।
रोलर से रंगाई: बड़े क्षेत्रों में रोलर का इस्तेमाल करें। रोलर से रंग लगाने के दौरान, रोलर को एक ही दिशा में घुमाएं और समान मोटाई बनाए रखें।
स्प्रे पेंटिंग: स्प्रे पेंटिंग से सतह पर समान रूप से रंग चढ़ता है, लेकिन इसमें उच्च तकनीकी कौशल की आवश्यकता होती है।
- रंग की परतें (Coats of Paint)
प्रथम परत: पहले हल्की परत में रंग लगाएं और उसे सूखने दें।
दूसरी परत: जब पहली परत सूख जाए, तब दूसरी परत लगाएं। ध्यान रखें कि दोनों परतों के बीच समय का अंतर हो और रंग पूरी तरह से सूखने के बाद दूसरी परत लगाएं।
- सुखाना (Drying)
स्प्रे पेंटिंग हे एक समान कलर देण्याचे काम करते.
त्यासाठी लागणारे साहित्य:- कलर किनर कॉम्प्रेसर स्प्रे आणि पोलीस पेपर इत्यादी लागतात.
स्प्रे पेंटिंग करण्याची कृती:- ज्या लोखंडाला आपल्याला स्प्रे पेंटिंग करायची असेल त्या लोखंडाला पहिले पॉलिश करून घ्यावी म्हणजे त्याचा गंज काढावा स्वच्छ गंज काढल्यानंतर कॉम्प्रेसर मध्ये हवा भरून घ्यावी आणि कॉम्प्रेसर चालू करणे त्यानंतर कॉम्प्रेसर मध्ये हवा पूर्ण भरल्यानंतर कॉम्प्रेसर बंद करावा आणि जास्त कलर असेल द्यायचा असेल तर कॉम्प्रेसर चालू ठेवून आपल्या सप्रेम मध्ये कलर आणि थिनर टाकून तो कलर मिक्स करावा चांगला आणि आपण ज्या लोखंडाला मारणार आहे त्या लोखंडाला अलगदपणे प्रे पेंटिंग करावा पटापट नाहीतर एका जागी ठेवले वरती त्यात जागी ते जाड होऊन खराब दिसते चांगली फिनिशिंग घेण्यासाठी आपण स्प्रे पेंटिंग करतो.
अशाप्रकारे स्प्रे पेंटिंग कशी द्यायची हे आम्ही शिकलो आणि आम्ही या शिर्डीला स्प्रे पेंटिंग केलं
थ्रेडिंग आणि टइपिंग
थ्रेडिंग आनी टाइपिंग यह प्रिया ची शिक्षक मध्य एक साधन तैयार करने साठी ट्रेड आणि तब वह पर्यायवाची महत्व आणि त्याचे आयोग सीखने
साहित्य: १ थ्रेडिंग टूल्स (थ्रेडिंग टाइल्स तप टाइल्स)२ नदी पाइप धातु चित्र साथी ३ फाइल्स (पॉलिशिंग सथी ) ४ (मापन कैलिबर गैस) ५ स्ने तेल (लुब्रिकेंट)
कृति१: थ्रेडिंग पहेलियां दा धातु पाइप नदी कपालीजते नदी व आवश्यक आकर आणि गढ़ तैयार करने साठी थ्रेडिंग टइल्स
थ्रेडिंग टाइल्स नदी व योग्य दबाव शाह फिर अगले जाते यमुने नदी व थ्रेड तैयार हो तो
टाइपिंग: टाइपिंग प्रकृति चित्र आता भवर धारावी आकर अकराचे धागे तयार केले जता तप गेजच वहां पर करूं अपरियाणा योग्यअकराच क्वेश्चन के बाद धातु भागवत तब बसवाल जातो
Prachi akharta : Karti karne mein gajar Prachi Hogi uska Aakar Rachna aani sanrachna taiyar karne ya prakriya color mukhya uddeshy Prachi aakhachi Vyakhya lagatar mape apravi Ek Prachin vastvik Pratima tapay Kariya karnyasathi prakriya
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