soil testing
मृदा परीक्षण (Soil Testing) के उद्देश्य (उद्देश्य):
1. मिट्टी की उर्वरता (Fertility) का पता लगाना।
2. मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश आदि) की मात्रा जानना।
3. खेत के लिए उचित उर्वरक की मात्रा और प्रकार निर्धारित करना
4. मिट्टी की pH मान (अम्लीय, क्षारीय या सामान्य) की जानकारी प्राप्त करना।
5. फसल के अनुसार मिट्टी की उपयुक्तता का आकलन करना।
6. उर्वरकों के अधिक या कम उपयोग से बचाव करना।
7. फसल उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ाना।
8. मिट्टी के स्वास्थ्य और संतुलन को बनाए रखना।अगर चाहें तो मैं इसे संक्षेप में, परीक्षा-उपयोगी बिंदुओं में या पोस्टर/प्रोजेक्ट के लिए भी तैयार कर सकता हूँ।
Soil testing (मृदा परीक्षण / Soil nirakshan) का मतलब है खेत की मिट्टी की जाँच करके यह जानना कि उसमें कौन-कौन से पोषक तत्व कितनी मात्रा में हैं।
Soil testing / nirakshan में क्या जाँचा जाता है?
१. pH (मिट्टी अम्लीय है या क्षारीय)
२. Organic carbonमुख्य पोषक तत्व: नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटाश (K)सूक्ष्म तत्व: जिंक, आयरन, बोरॉन आदि (ज़रूरत होने पर)
Soil testing क्यों ज़रूरी है?
सही फसल चयन करने में मददखाद और उर्वरक सही मात्रा में डालने के लिएउत्पादन बढ़ाने और लागत कम करने के लिएमिट्टी की सेहत बनाए रखने के लिए.
Soil testing (nirakshan) की प्रक्रिया
1. खेत के अलग-अलग हिस्सों से 10–15 जगह से मिट्टी का नमूना लें
2. ऊपरी घास/कचरा हटाकर 0–15 सेमी गहराई से मिट्टी लें
3. सब नमूनों को मिलाकर एक composite sample बनाएं
4. छाया में सुखाकर soil testing lab में भेजें
5. रिपोर्ट के अनुसार खाद की सिफारिश अपनाएँअगर आप चाहें तो मैं:
PH
Oc
N
K
P
निष्कर्ष
pH, 5 से 6 मध्यम अम्ल
N, 420 से 560 साधारण भरपूर
P, 14 से 21 कमी
k, 21 से 22 बुँदे कमी
Oc, 0.6% से 0.8% माध्यम


Water Holding
प्रस्तावना (Prastavna)
“Water Holding (Capacity
जल जीवन का आधार है और कृषि, पर्यावरण तथा मानव अस्तित्व के लिए अत्यंत आवश्यक संसाधन है।
जिसके द्वारा मिट्टी अपने कणों के बीच जल को रोककर रखती है और आवश्यकता पड़ने पर पौधों को उपलब्ध कराती है।
और आवश्यकता पड़ने पर पौधों को उपलब्ध कराती है।
अधिक जल धारण क्षमता वाली मिट्टी फसलों की वृद्धि के लिए अनुकूल होती है, क्योंकि इससे सिंचाई की आवश्यकता कम होती है
क्योंकि इससे सिंचाई की आवश्यकता कम होती है
वर्तमान समय में जल संरक्षण और सतत कृषि के संदर्भ में जल धारण क्षमता का अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है।
और पौधों को निरंतर नमी मिलती रहती है।
साहित्य
जल धारण क्षमता से आशय मिट्टी या किसी पदार्थ की उस क्षमता से है,
जिसके द्वारा वह पानी को अपने अंदर रोककर रख सकता है।
यह गुण कृषि, पर्यावरण विज्ञान और मृदा विज्ञान में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
यह पौधों को लंबे समय तक नमी उपलब्ध कराती है 🌱सिंचाई की आवश्यकता को कम करती है
फसल की वृद्धि और उपज को बेहतर बनाती है
चिकनी मिट्टी (Clay soil): अधिक जल धारण क्षमता
दोमट मिट्टी (Loam soil): संतुलित जल धारण क्षमता
बलुई मिट्टी (Sandy soil): कम जल धारण क्षमता
निष्कर्ष
मिट्टी या पदार्थ में पानी को रोककर रखने की क्षमता फसलों की वृद्धि और उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
अधिक जल धारण क्षमता वाली मिट्टी पौधों को लंबे समय तक नमी उपलब्ध कराती है,
जिससे सिंचाई की आवश्यकता कम होती है।
कम जल धारण क्षमता होने पर पानी जल्दी बह जाता
और पौधों को पर्याप्त नमी नहीं मिल पाती। इसलिए बेहतर कृषि उत्पादन के लिए मिट्टी की जल धारण क्षमता का संतुलित होना आवश्यक है।
वर्तमान समय में जल संरक्षण और सतत कृषि के संदर्भ में जल धारण क्षमता का अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है।
जिसके द्वारा मिट्टी अपने कणों के बीच जल को रोककर रखती है और आवश्यकता पड़ने पर पौधों को उपलब्ध कराती है।
जल जीवन का आधार है और कृषि, पर्यावरण तथा मानव अस्तित्व के लिए अत्यंत आवश्यक संसाधन है।