Murghas

सिलेज़ की विशेषताएं:

  1. पोषक तत्वों से भरपूर: सिलेज़ पशुओं के लिए ऊर्जा और प्रोटीन का अच्छा स्रोत होता है।
  2. लंबे समय तक सुरक्षित: सही तरीके से तैयार किया गया सिलेज़ कई महीनों तक खराब नहीं होता।
  3. सभी प्रकार के पशुओं के लिए उपयुक्त: यह गाय, भैंस, बकरी, भेड़ जैसे दुधारू और मांसाहारी पशुओं के लिए लाभकारी होता है।

सिलेज़ बनाने की प्रक्रिया:

  1. चारे का चयन: मक्का, ज्वार, बाजरा, नेपियर घास, या अन्य हरे चारे का उपयोग किया जा सकता है।
  2. कटाई: चारे को उचित समय पर काटा जाता है, जब उसमें सबसे अधिक पोषण होता है।
  3. फसल को बारीक काटना: चारे को 1-2 इंच के छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है ताकि इसे साइलो (silage pit) में अच्छे से संपीड़ित किया जा सके।
  4. संपीड़न (compression): कटे हुए चारे को साइलो या गड्ढे में भरकर अच्छी तरह से संपीड़ित किया जाता है ताकि उसमें से हवा निकाल दी जाए।
  5. सीलिंग: चारे को प्लास्टिक की शीट या अन्य सामग्री से ढककर पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है ताकि उसमें हवा न जा सके।
  6. किण्वन (Fermentation): यह प्रक्रिया करीब 3-4 हफ्तों में पूरी होती है, जिसमें सिलेज़ तैयार हो जाता है।

सिलेज़ के लाभ:

  1. सस्ता और सुलभ: सिलेज़ तैयार करना अपेक्षाकृत सस्ता होता है और यह साल भर उपयोग के लिए तैयार रहता है।
  2. पोषण में कोई कमी नहीं: किण्वन की प्रक्रिया के कारण इसमें पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं।
  3. चारे की बचत: सर्दियों में हरा चारा उपलब्ध नहीं होता, तब सिलेज़ एक अच्छा विकल्प होता है।
  4. दुग्ध उत्पादन में वृद्धि: सिलेज़ के सेवन से पशुओं का दुग्ध उत्पादन बढ़ता है।

सिलेज़ तैयार करने में ध्यान देने योग्य बातें:

  1. सिलेज़ बनाने के लिए चारे का सही समय पर कटाई महत्वपूर्ण है।
  2. साइलो या गड्ढे को अच्छे से सील करना जरूरी है ताकि हवा अंदर न जा सके।
  3. सड़न से बचाने के लिए किण्वन प्रक्रिया में सावधानी बरतनी चाहिए।