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पाउडर कोटिंग
जब हम किसी धातु या लकड़ी की सतह को सुंदर और टिकाऊ बनाना चाहते हैं, तो पारंपरिक पेंटिंग हमारे दिमाग में आती है। लेकिन पेंटिंग के साथ कई समस्याएँ होती हैं, जैसे रंग जल्दी उड़ जाना, खुरचन आना और जंग लगना। इन समस्याओं का समाधान पाउडर कोटिंग है, जो एक आधुनिक, टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल तकनीक है।
पाउडर कोटिंग क्या है?
पाउडर कोटिंग एक सूखी पेंटिंग प्रक्रिया है जिसमें सतह पर इलेक्ट्रोस्टैटिक चार्ज किए गए पाउडर का छिड़काव किया जाता है और फिर इसे उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है, जिससे यह पिघलकर एक मजबूत और चिकनी परत बना लेता है। यह पारंपरिक पेंटिंग से अधिक टिकाऊ और मजबूत होती है।
पाउडर कोटिंग के मुख्य भाग (Parts Name)
- पाउडर कोटिंग गन – इलेक्ट्रोस्टैटिक चार्ज देकर पाउडर छिड़कने के लिए।
- पाउडर होपर – पाउडर को स्टोर करने के लिए।
- एयर कंप्रेसर – पाउडर को सतह पर फैलाने में मदद करता है।
- इलेक्ट्रोस्टैटिक चार्जर – पाउडर को चार्ज करने के लिए, ताकि वह सतह से चिपक सके।
- ओवन (बेकिंग चेंबर) – सतह को गर्म करने और पाउडर को पिघलाने के लिए।
पाउडर कोटिंग कैसे काम करती है? (Working Principle)
- सतह की सफाई – सबसे पहले सतह को ग्रीस, धूल, और जंग से मुक्त किया जाता है।
- पाउडर का छिड़काव – इलेक्ट्रोस्टैटिक गन से पाउडर को सतह पर छिड़का जाता है।
- हीटिंग (बेकिंग) – कोटेड सतह को 200°C तक गर्म किया जाता है, जिससे पाउडर पिघलकर सतह पर टिक जाता है।
- ठंडा करके सेट करना – ठंडा होने पर यह सतह को मजबूत, टिकाऊ और चिकना बना देता है।
पाउडर कोटिंग के फायदे
लंबे समय तक टिकाऊ – यह कोटिंग पारंपरिक पेंटिंग की तुलना में अधिक मजबूत होती है।
स्क्रैच और जंग प्रतिरोधी – सतह को खुरचने और जंग से बचाती है।
पर्यावरण के अनुकूल – इसमें कोई हानिकारक सॉल्वेंट नहीं होते।
सुंदर फिनिशिंग – यह मैट, ग्लॉसी और टेक्सचर्ड सहित कई फिनिश में उपलब्ध है।
देखभाल में आसान – इसे साफ करना आसान होता है और यह लंबे समय तक चमकदार रहती है।
पाउडर कोटिंग कहाँ उपयोग होती है?
🔹 वाहन उद्योग – कार, बाइक और ऑटोमोबाइल पार्ट्स पर।
🔹 फर्नीचर – धातु और एल्यूमिनियम फर्नीचर पर।
🔹 घरेलू उपकरण – फ्रिज, माइक्रोवेव, वॉशिंग मशीन, पंखे आदि पर।
🔹 कृषि यंत्र – ट्रैक्टर, हल और अन्य उपकरणों पर।
🔹 इलेक्ट्रॉनिक्स – कंप्यूटर केस, एलईडी लाइट बॉडी, मशीन पार्ट्स आदि में।
पारंपरिक पेंटिंग VS पाउडर कोटिंग
विशेषता | पाउडर कोटिंग | पारंपरिक पेंटिंग |
---|---|---|
टिकाऊपन | अधिक टिकाऊ | जल्दी खराब होती है |
जंग से सुरक्षा | अधिक | कम |
पर्यावरण प्रभाव | हानिरहित | सॉल्वेंट के कारण हानिकारक |
सूखने का समय | जल्दी सेट होती है | अधिक समय लेती है |
रंग विकल्प | अधिक | सीमित |
निष्कर्ष
पाउडर कोटिंग एक बेहतरीन तकनीक है जो सतहों को मजबूत, टिकाऊ और सुंदर बनाती है। यह पारंपरिक पेंटिंग से ज्यादा किफायती, मजबूत और पर्यावरण के अनुकूल है। यही कारण है कि आज ऑटोमोबाइल, फर्नीचर, कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों में इसका उपयोग तेजी से बढ़ रहा है।





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मापन
मीट्रिक प्रणाली और ब्रिटिश प्रणाली
1. मीट्रिक प्रणाली (Metric System)
- यह दशमलव (Decimal) आधारित प्रणाली है।
- इसकी इकाइयाँ 10 के गुणकों में होती हैं, जिससे गणना आसान होती है।
- यह अंतरराष्ट्रीय स्तर (SI – International System of Units) पर मान्य है और भारत सहित अधिकांश देशों में उपयोग होती है।
लंबाई की इकाइयाँ:
इकाई | छोटा रूप | मान |
---|---|---|
मिलीमीटर | mm | 1 mm = 0.1 cm |
सेंटीमीटर | cm | 1 cm = 10 mm |
मीटर | m | 1 m = 100 cm |
किलोमीटर | km | 1 km = 1000 m |
उदाहरण:
- स्केल पर छोटे निशान मिलीमीटर (mm) दिखाते हैं।
- एक किताब की लंबाई 25 सेंटीमीटर (cm) होती है।
- किसी गाँव से शहर की दूरी 10 किलोमीटर (km) हो सकती है।
2. ब्रिटिश प्रणाली (British/Imperial System)
- यह फ्रैक्शन (Fraction) आधारित प्रणाली है।
- इसमें लंबाई को इंच (inch), फुट (foot), गज (yard) और मील (mile) में मापा जाता है।
- यह मुख्य रूप से अमेरिका और ब्रिटेन के कुछ हिस्सों में उपयोग होती है।
लंबाई की इकाइयाँ:
इकाई | छोटा रूप | मान |
---|---|---|
इंच | inch (“) | 1 inch = 2.54 cm |
फुट | ft (‘) | 1 ft = 12 inch |
गज | yard | 1 yard = 3 ft |
मील | mile | 1 mile = 1760 yard (5280 ft) |
उदाहरण:
- एक टेलीविजन स्क्रीन 32 इंच (inch) की होती है।
- एक दरवाजे की ऊँचाई लगभग 6 फीट (ft) होती है।
- एक फुटबॉल मैदान की लंबाई 100 गज (yard) हो सकती है।
मुख्य अंतर:
विशेषता | मीट्रिक प्रणाली | ब्रिटिश प्रणाली |
---|---|---|
आधार | दशमलव (10 का गुणक) | भिन्न (Fraction) आधारित |
इकाइयाँ | mm, cm, m, km | inch, ft, yard, mile |
गणना | आसान | कठिन |
प्रचलन | भारत, यूरोप, एशिया, अफ्रीका | अमेरिका, ब्रिटेन |
निष्कर्ष:
- मीट्रिक प्रणाली आसान, वैज्ञानिक और ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली प्रणाली है।
- ब्रिटिश प्रणाली अमेरिका और पुराने सिस्टम में चलती है, लेकिन इसे समझना कठिन होता है।
- वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग कार्यों के लिए मीट्रिक प्रणाली ज्यादा बेहतर और सुविधाजनक मानी जाती है।

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प्लाज्मा कटर
1. क्या है?
प्लाज्मा कटर एक टूल है जो इलेक्ट्रिक आर्क और संकुचित गैस से धातु काटता है।
2. कार्यप्रणाली
हाई-वोल्टेज आर्क गैस को प्लाज्मा में बदलता है, जो धातु को तेज़ी से पिघलाकर काट देता है।
3. मुख्य भाग
- पावर सप्लाई (इलेक्ट्रिक आर्क)
- टॉर्च (प्लाज्मा जेट निकालता है)
- एयर कंप्रेसर (गैस सप्लाई करता है)
- ग्राउंड क्लैंप (सर्किट पूरा करता है)
4. फायदे
- तेज़ और सटीक कटिंग
- कम गर्मी और वेस्टेज
- स्टील, एल्यूमीनियम, कॉपर आदि पर काम करता है
5. उपयोग
- इंडस्ट्री, वेल्डिंग, ऑटोमोबाइल
- CNC डिज़ाइन कटिंग
6. सुरक्षा
- ग्लव्स, गॉगल्स पहनें
- अच्छा वेंटिलेशन रखें
- सुरक्षित जगह पर काम करें


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घरेलु पेंटिंग
1. पेंटिंग क्या है?
दीवार, लकड़ी या धातु पर रंग लगाने की प्रक्रिया, जो सौंदर्य और सुरक्षा दोनों प्रदान करती है।
2. पेंटिंग क्यों ज़रूरी है?
- दीवारों को आकर्षक बनाती है।
- नमी, फफूंदी और धूल से बचाव।
- संपत्ति की कीमत बढ़ाती है।
- दीवारों को साफ और hygienic बनाए रखती है।
3. पेंटिंग के प्रकार
- इमल्शन पेंट: वॉटर-बेस्ड, दीवारों के लिए।
- एनामेल पेंट: ऑयल-बेस्ड, लकड़ी/धातु के लिए।
- डिस्टेंपर: सस्ता, साधारण दीवारों पर।
- टेक्सचर पेंट: डिज़ाइन और फिनिशिंग के लिए।
- सीमेंट पेंट: बाहरी दीवारों के लिए।
4. आवश्यक सामग्री
- ब्रश/रोलर – पेंट लगाने के लिए।
- प्राइमर – पेंट की पकड़ बढ़ाने के लिए।
- सैंडपेपर – सतह चिकनी करने के लिए।
- पुट्टी – दरारें भरने के लिए।
- मास्किंग टेप – किनारों को सुरक्षित करने के लिए।
5. रंगों के प्रकार
- प्राथमिक: लाल, नीला, पीला।
- द्वितीयक: हरा, नारंगी, बैंगनी।
- तृतीयक: मिश्रित रंग।
6. सैंडिंग क्या है?
सतह को चिकना करने की प्रक्रिया जिससे पेंट अच्छी तरह चिपकता है।
सैंडपेपर ग्रिट:
- 80-100: मोटी सतहों के लिए।
- 120-150: हल्की असमानता दूर करने के लिए।
- 220-400: फिनिशिंग के लिए।
7. पेंटिंग प्रक्रिया (स्टेप-बाय-स्टेप)
- सफाई करें – दीवार से धूल और पुराने पेंट को हटाएं।
- सैंडिंग करें – सतह चिकनी बनाएं।
- पुट्टी लगाएं – दरारें भरें और दोबारा सैंडिंग करें।
- प्राइमर लगाएं – पेंट की पकड़ मजबूत करने के लिए।
- पेंटिंग करें – पहले बेस कोट, फिर दूसरा कोट लगाएं।
- फिनिशिंग टच – किनारों को जांचें


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वर्कशॉप में उपयोग होने वाली प्रमुख मशीनें – कार्य व कीमत
किसी भी वर्कशॉप में विभिन्न प्रकार की मशीनों का उपयोग किया जाता है, जो धातु, लकड़ी या अन्य सामग्रियों को काटने, जोड़ने, मोड़ने, या आकार देने में मदद करती हैं-
1. Arc Welding Machine (आर्क वेल्डिंग मशीन)
- कार्य: इलेक्ट्रोड और बिजली की मदद से धातु के टुकड़ों को जोड़ना।
- कीमत: ₹5000-8000/-

2. CO₂ Welding Machine (सीओ₂ वेल्डिंग मशीन)
- कार्य: कार्बन डाइऑक्साइड गैस का उपयोग कर मजबूत और क्लीन वेल्डिंग करना।
- कीमत: ₹40000-50000/-

3. TIG Welding Machine (टीआईजी वेल्डिंग मशीन)
- कार्य: एल्यूमिनियम और स्टेनलेस स्टील जैसी धातुओं को उच्च गुणवत्ता के साथ जोड़ना।
- कीमत: ₹15000-20000/-

4. Bench Grinder (बेंच ग्राइंडर)
- कार्य: धातु को ग्राइंड, शार्प या पॉलिश करना।
- कीमत: ₹3500-6000/-

5. Pipe Cutter Machine (पाइप कटर मशीन)
- कार्य: स्टील, पीवीसी और अन्य पाइप को आसानी से काटने के लिए।
- कीमत: ₹12000-13000/-

6. Iron (आयरन)
- कार्य: वेल्डिंग से पहले या बाद में धातु की सतह को चिकना करना।
- कीमत: ₹6000-7000/- 100kg

7. Welding Table (वेल्डिंग टेबल)
- कार्य: वेल्डिंग के दौरान कार्य को स्थिर रखने के लिए मजबूत सपोर्ट देना।
- कीमत: ₹250000/-

8. Milling Machine (मिलिंग मशीन)
- कार्य: धातु या अन्य सामग्रियों पर कटिंग, ड्रिलिंग और शेपिंग।
- कीमत: ₹40000-50000/-

9. Wood Cutter Machine (वुड कटर मशीन)
- कार्य: लकड़ी को काटना और शेपिंग करना।
- कीमत: ₹55
- 55000/-

10. Lathe Machine (लेथ मशीन)
- कार्य: धातु और लकड़ी को घुमाकर काटना और शेप देना।
- कीमत: ₹60000/-

11. Pillar Drill Machine (पिलर ड्रिल मशीन)
- कार्य: धातु और लकड़ी में सटीक छेद बनाना।
- कीमत: ₹60000-75000/-

12. Spot Welding Machine (स्पॉट वेल्डिंग मशीन)
- कार्य: शीट मेटल को जोड़ने के लिए तेज और सटीक वेल्डिंग।
- कीमत: ₹20,000 – ₹2,00,000।

13. Bench Vice (बेंच वाइस)
- कार्य: धातु या लकड़ी को कसकर पकड़ना।
- कीमत: ₹2,000 – ₹15,000।

14. Patara Bending Machine (पतरा बेंडिंग मशीन)
- कार्य: धातु की चादर को मोड़कर आकार देना।
- कीमत: ₹50,000 – ₹5,00,000।


15. Patara Cutting Machine (पतरा कटिंग मशीन)
- कार्य: धातु की चादर को सटीक रूप से काटना।
- कीमत: ₹30,000 – ₹3,00,000।

16. Plasma Cutter Machine (प्लाज़्मा कटर मशीन)
- कार्य: उच्च तापमान से स्टील और एल्यूमिनियम शीट काटना।
- कीमत: ₹50,000 – ₹10,00,000।

17. CNC Lathe Machine (सीएनसी लेथ मशीन)
- कार्य: धातु के टुकड़ों को ऑटोमेटिक रूप से काटना और शेपिंग देना।
- कीमत: ₹5,00,000 – ₹50,00,000।

18. Powder Coating Machine (पाउडर कोटिंग मशीन)
- कार्य: धातु की सतह पर पाउडर कोटिंग कर उसे जंग से बचाना।
- कीमत: ₹30,000 – ₹5,00,000।

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सर्मिका पेस्टिंग
फर्नीचर की फिनिशिंग में सर्मिका पेस्टिंग एक जरूरी स्टेप है, जिससे सतह न केवल आकर्षक बल्कि टिकाऊ भी बनती है।
1. माप और कटाई
सबसे पहले, टेबल के साइज के अनुसार सर्मिका शीट को मार्क कर काटा गया। सटीक कटिंग जरूरी थी, ताकि किनारे पूरी तरह फिट हो सकें।
2. सतह की तैयारी
टेबल को साफ किया गया और हल्के सैंड पेपर से घिसाई की गई, जिससे फेविकोल अच्छी तरह चिपक सके।
3. फेविकोल अप्लाई करना
टेबल और सर्मिका—दोनों पर फेविकोल लगाया गया और थोड़ी देर तक इसे सेट होने दिया, ताकि यह सही ग्रिप बना सके।
4. सर्मिका पेस्टिंग
धीरे-धीरे सर्मिका को टेबल पर रखा गया और हल्के दबाव से चिपकाया गया। ध्यान दिया गया कि कहीं भी एयर बबल न बने, जिससे सतह स्मूद बनी रहे।
5. किनारों की फिनिशिंग
चिपकने के बाद, मास्किंग टेप लगाया गया, ताकि फेविकोल सूखने तक सर्मिका मजबूती से बनी रहे।
अंतिम परिणाम
कुछ घंटों बाद जब फेविकोल पूरी तरह सूख गया, तो टेबल एकदम शानदार और प्रोफेशनल लुक में तैयार थी। इस प्रैक्टिकल से समझ आया कि सही तकनीक अपनाने से सर्मिका पेस्टिंग का काम आसान और परफेक्ट हो सकता है!

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वेल्डिंग के प्रकार और उनके उपयोग
वेल्डिंग में धातु के दो टुकड़ों को जोड़ने के लिए अलग-अलग प्रकार के जॉइंट इस्तेमाल किए जाते हैं। मुख्य रूप से पांच प्रकार के वेल्डिंग जॉइंट होते हैं:
बट जॉइंट – इसमें दो धातु की प्लेटों को आमने-सामने रखकर जोड़ा जाता है। यह पाइप फिटिंग और स्ट्रक्चरल वर्क में उपयोग किया जाता है।
लैप जॉइंट – जब दो प्लेटें एक-दूसरे के ऊपर ओवरलैप करके वेल्ड की जाती हैं। यह हल्के मेटल शीट वर्क और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में काम आता है।
टी-जॉइंट – एक प्लेट को दूसरी के ऊपर 90° पर रखकर वेल्ड किया जाता है। इसका इस्तेमाल पाइपिंग और स्ट्रक्चरल निर्माण में किया जाता है।
कॉर्नर जॉइंट – इसमें दो प्लेटों को किनारे से जोड़कर “L” आकार बनाया जाता है। इसे बॉक्स और फर्नीचर निर्माण में उपयोग किया जाता है।
एज जॉइंट – जब दो प्लेटों के किनारे समानांतर रखकर वेल्ड किए जाते हैं। इसका उपयोग टैंक और बॉयलर बनाने में किया जाता है।

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प्लंबिंग के बेसिक पार्ट्स और उनके नाम
1. पाइप (Pipes) – पानी के प्रवाह को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए।
- PVC पाइप
- CPVC पाइप
- GI पाइप (गैल्वेनाइज्ड आयरन पाइप)
- HDPE पाइप
- PPR पाइप
2. पाइप फिटिंग्स (Pipe Fittings) – पाइप जोड़ने और मोड़ने के लिए।
- एल्बो (Elbow) – पाइप को 90° या 45° मोड़ने के लिए।
- टी (Tee) – पाइप को टी-आकार में जोड़ने के लिए।
- कपलिंग (Coupling) – दो पाइपों को जोड़ने के लिए।
- रेड्यूसर (Reducer) – बड़े पाइप से छोटे पाइप में कनेक्शन के लिए।
- एडॉप्टर (Adapter) – विभिन्न प्रकार के पाइप कनेक्ट करने के लिए।
3. वाल्व (Valves) – पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए।
- नॉन-रिटर्न वाल्व (Non-Return Valve, NRV) – पानी को एक ही दिशा में प्रवाहित करने के लिए।

- गेट वाल्व (Gate Valve) – पानी के प्रवाह को पूरी तरह रोकने या चालू करने के लिए।
- बॉल वाल्व (Ball Valve) – पानी के प्रवाह को ऑन/ऑफ करने के लिए।

4. जॉइंट और कनेक्टर्स (Joints & Connectors)
- सर्विस सैडल (Service Saddle) – मुख्य पाइप से छोटी पाइपलाइन जोड़ने के लिए।

- कंप्रेशन फिटिंग (Compression Fitting) – पाइप जोड़ने के लिए बिना वेल्डिंग के।
- यूनियन कनेक्टर (Union Connector) – पाइप को असानी से जोड़ने और निकालने के लिए।
- फ्लैंज (Flange) – बड़े पाइपों को जोड़ने के लिए।

5. नल और टैप्स (Taps & Faucets)
- बिब कॉक (Bib Cock) – दीवार पर लगे सामान्य पानी के नल।
- मिक्सर टैप (Mixer Tap) – ठंडे और गर्म पानी को मिलाने के लिए।
- एंगल वाल्व (Angle Valve) – वॉशबेसिन और गीजर कनेक्शन के लिए।
Adhesive

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ईंट जोडाई– एक सरल परिचय
निर्माण कार्य में ईंटों की जोड़ाई, मोर्टार, RCC और PCC का महत्वपूर्ण योगदान होता है। सही तकनीक और सामग्री का उपयोग मजबूत और टिकाऊ संरचना बनाने में मदद करता है।
ईंट जोड़ाई (Brick Bond) के 5 प्रमुख प्रकार:
- स्ट्रेचर बॉन्ड (Stretcher Bond) – ईंटों को लंबाई में एक के ऊपर एक रखा जाता है, यह पतली दीवारों में उपयोग होता है।
- हेडर बॉन्ड (Header Bond) – ईंटों को चौड़ाई की दिशा में रखा जाता है, जिससे दीवार अधिक मजबूत होती है।
- इंग्लिश बॉन्ड (English Bond) – एक पंक्ति में हेडर और दूसरी में स्ट्रेचर होता है, यह सबसे मजबूत बॉन्ड माना जाता है।
- फ्लेमिश बॉन्ड (Flemish Bond) – हर पंक्ति में हेडर और स्ट्रेचर का मिश्रण होता है, यह देखने में सुंदर होता है।
- रैट ट्रैप बॉन्ड (Rat Trap Bond) – ईंटों को इस तरह जमाया जाता है कि दीवार में खोखली जगह बनी रहे, जिससे सामग्री की बचत होती है।


मोर्टार (Mortar) क्या है?
मोर्टार सीमेंट, रेत और पानी का मिश्रण होता है, जो ईंटों को जोड़ने और प्लास्टरिंग में काम आता है।
सामान्य अनुपात:
- 1:6 – ईंट जोड़ाई के लिए
- 1:4 – प्लास्टरिंग के लिए
- 1:3 – वाटरप्रूफिंग के लिए
RCC और PCC का उपयोग:
- RCC (Reinforced Cement Concrete)
- यह सीमेंट कंक्रीट में स्टील की छड़ें डालकर बनाया जाता है।
- इसका उपयोग बीम, कॉलम, स्लैब और पुल निर्माण में किया जाता है।
- PCC (Plain Cement Concrete)
- इसमें केवल सीमेंट, रेत और कंकड़ होते हैं, स्टील नहीं।
- इसका उपयोग नींव और साधारण फर्श के लिए किया जाता है।
- सामान्य अनुपात 1:4:8 या 1:3:6 होता है।
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आरसीसी कॉलम
आरसीसी (रिइनफोर्स्ड सीमेंट कंक्रीट) कॉलम किसी भी इमारत की मज़बूती का आधार होता है। इसे सही तकनीक से बनाना ज़रूरी है ताकि यह भार सहन कर सके और लंबे समय तक टिके।
आवश्यक सामग्री
- सामग्री: रेत, सीमेंट, गिट्टी, पानी, स्टील बार, ऑयल।
- औज़ार: शटरिंग, मिक्सिंग टूल्स, पट्टी।
निर्माण प्रक्रिया
- माप और खुदाई: सही स्थान पर माप लेकर गड्ढा तैयार करें।
- स्टील की जालियां: सरियों को डिज़ाइन अनुसार बाँधें।
- शटरिंग सेट करना: साँचे में तेल लगाकर तैयार करें।
- कंक्रीट मिक्सिंग: 1:2:4 अनुपात में मिक्स तैयार करें।
- कॉलम भरना: मिक्स को धीरे-धीरे साँचे में डालें और समतल करें।
- कम्पैक्शन: थपथपाकर एयर बबल निकालें।
- शटरिंग हटाना: कम से कम 7 दिन बाद करें।
क्योरिंग (पानी देना)
कॉलम की मज़बूती के लिए 28 दिनों तक नियमित पानी डालना जरूरी है।
- पहले 7 दिन लगातार पानी दें।
- 7-14 दिन तक दिन में 2 बार।
- 14-28 दिन तक 1 बार पानी डालें।
- सही अनुपात और क्योरिंग से तैयार आरसीसी कॉलम लंबे समय तक मज़बूती प्रदान करता है और संरचना को सुरक्षित रखता है।


PROJECT-1
धातु सीढ़ी निर्माण परियोजना रिपोर्ट
स्थान: विज्ञान आश्रम, पाबल
प्रस्तुतकर्ता: (RAVINDRA NATH CHADWIK)
- परियोजना का उद्देश्य
इस परियोजना का उद्देश्य पहली मंजिल तक पहुँच के लिए एक टिकाऊ, सुरक्षित एवं सौंदर्यपूर्ण धातु की सीढ़ी
का निर्माण करना था। परियोजना का फोकस कम लागत में सर्वोत्तम गुणवत्ता प्राप्त करना और प्रायोगिक ज्ञान
को बढ़ाना था। - स्थान चयन
दो संभावित स्थानों का विश्लेषण करने के बाद सुरक्षा, स्थायित्व और उपयोग में आसानी को ध्यान में रखते हुए
स्थान का चयन किया गया। - डिज़ाइन एवं गणना
CAD सॉफ़्टवेयर की सहायता से डिज़ाइन तैयार किया गया। पाइथागोरस प्रमेय (L² = h² + b²) का
उपयोग करके सीढ़ी की लंबाई और कोण की गणना की गई। डिज़ाइन में स्थिरता, भार वहन क्षमता और
कार्यक्षमता को प्राथमिकता दी गई। - प्रमुख सामग्री
- चेकर प्लेट
- C चैनल
- L एंगल
- I चैनल
- पाइप्स
- फास्टनर्स
- वेल्डिंग रॉड्स
- कटिंग और ग्राइंडिंग व्हील्स
- रेड ऑक्साइड प्राइमर एवं पेंट
- सुरक्षा उपकरण
- निर्माण प्रक्रिया
CAD डिज़ाइन के आधार पर मापन, कटाई, वेल्डिंग, फिनिशिंग और कोटिंग की गई। वेल्डिंग के बाद ग्राइंडिंग
द्वारा किनारों को चिकना किया गया और प्राइमर एवं पेंटिंग के माध्यम से जंगरोधी सतह तैयार की गई। - सुरक्षा एवं परीक्षण
निर्माण के प्रत्येक चरण में हेलमेट, दस्ताने, सुरक्षा चश्मा और जूतों का उपयोग किया गया। अंतिम चरण में भार
परीक्षण कर स्थायित्व और संतुलन सुनिश्चित किया गया। - अनुभव एवं शिक्षाएँ
- CAD डिज़ाइनिंग का व्यावहारिक प्रयोग
- वेल्डिंग एवं कटाई के तकनीकी कौशल
- टीमवर्क का महत्त्व
- सुरक्षा मानकों का पालन
- प्रोजेक्ट प्लानिंग व निष्पादन
निष्कर्ष
यह परियोजना मेरे लिए तकनीकी ज्ञान, व्यावहारिक अनुभव और आत्मविश्वास बढ़ाने का अवसर बनी। सीढ़ी
निर्माण की पूरी प्रक्रिया ने निर्माण क्षेत्र की गहराई को समझने में मेरी मदद की।






