ELECTRICAL SAFETY (1)

परिचय :- Electrical city का प्रयग हर जगह हताहै | बिधयुत हमारे जीबन का एक अभिन्न यंग है किन्तु एस के प्रयोग जितना याचा है उतना ही डैन्जर है बिसेस रूप से जब विधयुत के सात सुराख्या का द्यान नही रखा जाता है तो उनके धुरगोटना हो जाती है | एस अनेक कारण से हट है |

उदेश्य :- (1) बिजली जतकों का वर्णना कर पायेंगे |

(2) रपथम उपचार को समाज पाएंगे |

(3) कृत्रिम शवोंसन की पद्धतियों को समाज पाएंगे |

(4) वर्कशॉप संभोनधि सुरक्षा नियमों को जन पाएंगे |

electric shock :- बिजली का जटका अचानक हता है ओर यह शरीर के तंत्रीय तंत्र किम्बा ( nervous system को उद्वीपित करता है |जब बिदयुत धार हमारा

शरीर से गुजरती है तो उसका शरीर पर अनैचिक पेसिय संकुचन प्रभाब हता है | यदि झटका निम्न तीव्रता का है तो पीड़ित पर संकुचन प्रभाव हता

है | यदि झटका निम्न तीव्रता है त पीड़ित ब्यक्ति अपने अप को सप्लाई से अपने अप को आलग नही कर पता है यदि वक्ष धारा का पथ बंता है तो

सवॉसन को नियंत्रित करने वाली पेसियाँ पक्षाघात से पीड़ित हो जाही है |इस स्थिति मे पीड़ित ब्यक्ति पावर सप्लाई से चिपक रहे त है तथा

अर्द्ध चेतना की स्तिथि मे होता है यदि कोई अन्य ब्यक्ति पीड़ित को बचाने के उदेश्य से उसे छूता हे तो उसे भी झटका लग्ज है |

प्रथमी उपचार दो प्रकार की होता है :- (1) प्राथमिक उपचार (FIRST AID )

(2) कृत्रिम श्वसन (ARTIFICIAL RESPIRETION)

FIRST AID :- (1) बिदयुत पीड़ित ब्यक्ति को नरम कंबल मे लिटा देना है तथा ताजी हवा उस तक पहछने देना है |

(2) जले भागों पर कोई कोल्ड क्रिया या नरियेल का तेल लगा देना है |

(3) सुगमता से कृत्रिम स्वसन प्रक्रिया को पीड़ित के चहरे पर पनि का हल्का छिड़काव कर देना है |

(4) डोकटोर के परामर्स के बिना पीड़ित को भोजन या तरल पदारत न दे

कृत्रिम श्वसन प्रदान करने की दो निम्न पद्धतियाँ है :- (1) शेफर पद्धति

(2) सिलवेस्टर पद्धति

कृति = पहले हम शेफर पद्धति किए :- पहले हम पीड़ित को पेट के बाल लेटा दिया उसका एक हात ऊपर की और राकदिए तथा दूसरे हात को कोहनी से मैड के चहरे को बाहर की और हात पर इस प्रकार राकदिए जिससे पीड़ित ब्यक्ति का नाक तथा मुह से आसानी से संस ले सके |उसकी जीभ को बाहर की और रकड़िया किन्तु पकड़ कर नही रखा |पीड़ित को जांघों पर घुटने के बल बेट गई अपनी हतांकों उसकी पीट पर इस तहर रकदिया की छटी उंगली सबसे निचली पसली को छूया ओर उँगलीवन को प्रकृति मे रहे व उँगलीयो के सिरे नजर न आए | अपनी हातों को सीधे राखदिया धीरे धीरे आगे को झुकते हुए अपनी शरीर का भर पीड़ित के ऊपर लगभग 2-3 सेकेंड के लिए इस प्रकार से डलदिया की वह अपना भार सहसके इस दबाव को धीरे धीरे छड़ दिया ओर अपनी हथेलियों को दोनों और लें जाते हुए वापस पहली स्तिथि मे आ जाना है जैसे इस प्रक्रिया को एक मिनिट के लिए लगभग 12-15 बार दोहराना है | इससे पीड़ित ब्यक्ति को धीरे धीरे अपनी स्वास व्हार करने मे मदद मिले गी | पीड़ित को अपनी प्राकृतिक स्वसन प्रक्रिया पुन : बहाल करने मे 1-3 घंटे का समय लगता है | पीड़ित की प्राकृतिक स्वसन बहाल होने पर कृत्रिम स्वसन प्रक्रिया को रक रक दिया | जब तक पीड़ित ब्यक्ति प्रकृति स्वसन मे वापस नहीं पहुंचता उसका अवलोकन करते रहे ना है |

BASIC TOOLS TYPE (2)

परिचय :- वरिंग केलिए प्रयाग हने वाले उपयगी tools उपकरण की अबोसीय कता हती है |

उदेश्य :- (1) tools बिसेसता का उलेक कार पाएंगे |

(2) विभिन्न प्रकार के tools के नाम जान पाएंगे |

(3) प्रत्येक tools का वर्णन कारेंगे |

(4) tools के अनुरक्षण की बिधी को समाज पाएंगे |

tools का नाम :-

No. tools name types of meters
1 plierSynchrocoper meter
2wire stripperohm meter
3steel ruleSingle Phese Energy Meter
4soldering ironTree phege energy meter
5double ended spanner setDigital multi meter
6marking guageMulti- funchional panal meter
7ratchet braceClamp meter
8rawal punchDigital insulatio tester
9scriberphase sequence meter
10try squaretri-vector meter
11digital testermegger analog insulatio tester
12file flat- bastardEarth tester
13pipe wrenchTree phase electronic energy miter
14Bering puller- tree legsmulti meter
15Centre punchSingle phase electronic energy meter
16files flatAnalog insulation tester
17Allen keys
18Hand vice
19Electri cial plier
20firmer chisel
21Electri cial knife
22Hand drill machine
23Digital cutting plier
24Push pull steel tape
25cold chisel
26Power drill machine
27Long nosed plier
28Plumb bob
29hammer crass pein
30Screw driver
31wire stripper
32hack sew
33hammer boll pein
34Line tester
35Trai skwere
36

wire and cable type (3)

उदेश्य :- * चालक , चलत्वों प्रति रध का ज्ञान प्राप्त करेंगे |

  • चलकोंका वर्गी कोरण कर पाएंगे |
  • चलकोंका प्रयाग कर पाएंगे |
  • तारों का प्रकारों को जान पाएंगे |
  • मानक तार गेज को जन पाएंगे |
  • केबोल ओर उसके प्रकार को जान पाएंगे |
  • तार व केबल की धारा वहन क्षमता को जान पाएंगे |
  • चालक जोड़ तता torminal संबंधन को जान पाएंगे |
  • torminal के प्रकारों को जान पाएंगे

(1) चालक conductor क्या होता है ?

= तार या तारों का सायोजन है जिसका प्रयाग बिधयुत धारा वहन के लिए किया जाता है |

(2) कएबॉल क्या होता है ?

= दो या दो से अधिक टीस या फोंसे conductor एक दूसरे से अलग ओर सामूहिक रूप से एक सथ इंसुलेटेर केबल कहलाता है |

केबल का परक :- (1)ARMORED ONLY (अरमै ई केबल)

(2) UN URMORED ONLY (अन आर्मो ड केबल |

  • CONDUCTING MATERIAL

पदार्थ \ तत्व जो विधयुत धारा विमुक्त सोंचलन को सुलभ बनाता है चालक पदार्थ कहते है इनः चालन पदार्थ से हम गोलाकर या पट्टी आकार के चालकों का निर्माण करते है जो विधयुतीय कायों मे धारा के वहन के लिए उपोउक्त होते है |

  • चालक के प्रोयग |

;- (1) धार को एक स्तान से दूसरे स्तान तक प्रॉबाहित कर ना |

(2) बह बार वनाना |

(3) खंभ को सूदड़ बानाने हेतु |

(4) पयुज – वय बानाने हेतु |

(5) हीटिंग वायर बानाने हेतु |

(6) उपकरण की विधयुत आरपात के सायोजन बानाना |

तार :- तार का प्रोयग धारा को एक स्तान से दूसरे स्तान पर ले जाने के लिए किया जाता है
|

तार के प्रकार :- (!) INSULATION WIRE , (2) B. I . R WIRE , (3) C . T . S . WIRE , (4) T . R . S . WIRE (5) P.V.C WIRE (6) P.V.C.F.R. WIRE (7) T.V.C.F.R.L.S. WIRE

  • VOLTAGE GRADE

(1) LOW WOLTAGE GRADE WIRES (2) MIDIUM VOLTAGE GRADE WIRES (3) HIGH VOLTAGE GRADE WIRES

  • CEBOL TYPE INSULATION OF ACCORDING :- (1) सूत अर्वरत केबल (2) रेसप अर्वरत केबल (3) ससबोसटोस अर्वरत केबल (3) रबड़ अर्वर केबल (4) पी . वी . सी . अर्वरत केबल |

ACCORDING TO THE SUBSTANCE OF THE CHAIL :- (1) ALUMINUM (2) COPPER |

आकार के अनुसार :- (1) गोलाकार (2) सपाट आकार

CORE TYIPE :- (1) दो कर (2) तीन कर (30 साढ़े तीन कर

TYPES OF EXPERIMENTS :- (1) DOMESTIC WIRE (2) INDUSTRIAL WIRE B (3) WINDING WIRE (4) HEATING WIRE

Rain measuremant (4)

उदेश्य :- बारिश कहा कहा ओर काब गिरेगी उसकी बारींमे जन पाएंगे |

बारिश काहा काहा कितनी % गिरा उसकी बारी मे जनपाएंगे \

  • बारिश केसे मापते है ?

:- बारिश मापने के लिए rain गेज या बारिश मापन यत्र का प्रयाग किया जाता है |यह यंत्र सामान्य तैर पर ऊंची ओर खुले स्तान पार लगाया जाता है इसके लिए एसा सस्तान चुना जाता है जहा आसपास पेड़ ऊंची दीवारों न हो जिसे बारिश का पनि सीधा यंत्र पे गिरे |

कृति :- हम अपनी हटों से rain गेज बानाया | सबसे पहले हम एक बतल को hack saw की मदद से उस बतल को कट करके लिया | ओर कट करने के बाद उस बतल मे वडू ,सीमेंट ओर पानी का मिश्रण इन सब को एसा मिश्रण किया ज्यादा पतला भी ना हो ज्यादा गाडा भी न हो मिडीओम रहना छाइए मिश्रण करने के बाद उस मिश्रण को काटे हुवे बटोल में दल के धुप मे सुखा दिया उसके बाद किम्बा सुकने के बाद section पे लाके पानी डाले पानी डाल ने के बाद उस पनि ओर बटोल के अंदर स्केल डाल दिए ओर बाहर से अछा से देखा की कितना mm का पानी लेवल है | जितना पानी का लेवल स्केल पे आता है उतना ही बारिश गिरा होता है \

सामग्री :- hack saw , सस्ट्रेट बटोल , स्केल ओर पनि , सीमेंट ,वदू मिश्रण करने के लिए एक डिबा , ओर ब्रश |

(1) rain geag के पोईदे ;-

  • कुछ कुछ जगह में पानी की कमी की वाजेसे पसल या पीने केलिए पानी नही मिलता है |
  • सबसे बाड़ा पाईदे तो यह है की इससे किसी निश्चित स्तान की भौगोलिक परिसतीतियाँ मालूम हो जाती है | समलन आगर साल मे किसी स्तान पर 8 इंच से काम बारिश होती है ती वह स्तान रेगिस्तान कहलाता है इससे वहाँ होने वाली कृषि पैदावार के बारे में अनुमान लागाया जाता है |

Multi meter to ac-dc measurement (5)

(1) Ac = alternating current

(2) Dc = direct current

what is multimeter

multimeter को vom, volt, ohm- millia meter भी कहा जाता हैं ।

(2) multimeter electrical उपकरण है जिसकी इस्तेमाल करके हम AC current ओर DC current Dc voltage Ac voltag thyrister diode और continuity कि जाँच कर सकते हैं।

(3) अगर हम यह पाता करना है कि किसी सर्किट मे कोई तार कोट तो नहीं हुवा है। इसके लिये हमें multimeter को continuity के उपर सेट करना है और जैसे voltage मापते हैं वैसे ही तार को दोनों सिरों पर prode लगाकर हम तार के continuty को चेक कर सकते हैं।

register :- multimeter से किसी भि register या प्रतिरोध की भुल्य को पाता करना बहुत ही आसान है इसे लिए हमें वहां पे रेंज दी गई है हमें जैसे voltage चेक करते हैं वैसे ही register को मापन है इसे लिए सबसे पहले हम multimeter को register की range को select करना हैं और register के दोनों सिरों पर multi meter तार की probe जोड़ देनी है और multimeter पर Ham register आवाज़ आता है ।

समोग्रि :- multimeter

कृति :- सबसे पहले हम multimeter को कैसे उपयोग करते hain उसके बारे में समझा कर लिया उसके बाद हम Dc direct current का चेक किया तो 2.1 आयता और Ac current Workshop के board का चेक कियातो 234 Ampere आयता। और हम रिमोट की battery का DC voltage चेक किया तो voltage आया था 3.5 voltage इससे यह पता चलता है की battery ठीक है। और जिस battery का अगर उस battery पर लिखा हुआ voltage सेम नहीं आया तो समझ लेना चाहिए कि battery खराब हो चूका है।

परी भाषा :- multimeter एक बहुत आयात विद्युत मापक yantra है इसका मुख्य कार्य एक विद्युत संकेत की विशेषताओं को मापता है जैसे की दयड register मॉसफेट trangister आधी इस के साथ साथ Ac – और Dc माप सकता है।

biogas (6)

What is biogas ?

:- (1) biogas सौर पावन ऊर्जा की तरह ही नविकरण ऊर्जा है यह Gas का वह मिश्रण है जो oxygen अनुपस्थिति में जैविक समोग्रि के विघटन से उत्पन्न होती है इसका मुख्य घटक मिथेन हे जो ज्वालन सिल है जिसे जलने पर ताप और ऊर्जा मिलती है।

(2) Biogas का उत्पादन जैबो रासायनिक द्वारा होता है जिसे तहत कुछ विशेष प्रकार के बैटेरिय जैविक कचरे को उपयोगी Biogas में बदलती है इस गैस को जैविक गैस इसलिए कहा जाता है क्यूंकि इसका उत्पादन जैविक प्रक्रिया biological process द्वारा होता है

(3) यह गैस विशेष रूप से ग्रामीणों क्षेत्रों में खाना पकाने और प्रकाश ब्यबस्ता की अपूर्ण को पुरा करती है साथी ही biogas technique anaerobic digestion के बाद उच्च गुणवत्ता वाली खाद्य प्रदान करती है जो की समान्य उर्वरक की तुलना से बहुत अच्छी होती है

(4) is technique के माध्यम से हम forest किम्बा जंगल को कटे होने से रोक सकते हैं।

(5) is technique के माध्यम से हम जंगल को बचा सकते हैं और जंगली जानवरों को भी।

कृति :- सबसे पहले हम गोबर 27 kilo और पानी 27 litre लाए और किचन मे use होने वाला biogas की टंकी में डाल दिया और टंकी एक साइड में आ गया था उसको हम बीच में बैलेंस हो जाए इस तरह सीमेंट का बिट रख दिया और टंकी में लगा हुआ स्लेरि को धूप में सुख गया था और उस स्लेरि को साफ सपाई कर दिया।

solar cooker (7)

उदेश्य :- सौर सेल के मूलभूत सिद्धांत तथा उसकी संरचना को हम समझ पाएंगे।

(1) :- सोलार सेल के संस्थपं तथा अनुरक्षण के लिए अपेक्षित को सिक पाएंगे ।

(2) :- सोलार कुकर के प्रकार व कर्जो को समझ पाएंगे।

(3) :- सोलार कुकर के कुशलता पूर्बाक प्रयोग जान पाएंगे।

(4) :- सोलार कुकर के बारे में जान पाएंगे।

(5) :- धुंआ रोहित चूला के प्रयोग कै चर्चा कार पाएंगे। सोलार प्रकाश के प्रणाली के फायदे और नुक्सान।

(1) फायदे :- सोलार पैनलों के संस्थापन के पश्चत ये प्रदूषण उत्पन्न लिए बिना energy का उत्पादन करता है और सोलार energy उत्पादन आर्थिक रूप से किप्यति होता है जहाँ पॉवर ग्रिड से कनेक्शन या ईंधन परिवहन कटिन महंगा या असंभव हो उदाहरण के लिए उपग्रह में पर्वतीय क्षेत्रों व दुरुस्त स्तोली पर और जब विद्युत उपलब्ध नहीं। पेनेलों से उत्पन्न दृष्ट विद्युत धारा DC power बैटरियों को उपलब्ध कराई जाती है ताकि वह चार्ज हो सके। Dc को प्रत्यावर्ती धारा Ac ऐन्वर्टर का प्रयोग भी किया जाता है।

नुक्सान :- सौर ऊर्जा प्रणाली रात्रि में करज्य नहीं करती। सोलार cell बहुत नाजुक होते हैं इन्हें बहुत ध्यान पूर्वक रखना हटा हैं।

Solar cooker :- solar cooker उपकरण है ऊर्जा की श्रत के रूप में सूरज का प्रकाश का उपयोग करता है। इससे किसी अन्य ईंधन की आवश्यकता नहीं होती। भारत में लगभग 250 धुपयुक्त हैं sunny दिन होते हैं। इस प्रकार शाभि सोलार सेल कुकर खाना पकाने के लिए सूरज के प्रकाश तथा उष्णता का प्रयोग करती है।

कृति :- सबसे पहले तो हम सोलार कुकर को लाए उस सोलर कुकर को धूप में रख दिया और धूप की temperature लिया तो 33°c आयता और कुकर के अंदर का temperature था 81°c और पकाने के लिए अंडे लाके राखेते। पहले तो अंडा पानी का

temperature लिया उस अंडा पानी का temperature था 27°c था उसके बाद black डब्बे में ठंडे पानी रख के उस पानी के अंदर अंडा डाल के सोलार कुकर में रख दिया उस अंडे को पकाने के लिए दो घंटा लगा था।

Grey water (8)

What is gry water?

(1) जितना पानी हम use करते हैं उसका 80% सेवेज में चला जाता है जिसे grey water कहतें हैं।

(2) इस पानी को recycle करके टॉयलेट गरदें जैसे काम में इस्तेमाल किया जा सकता है।

(3) grey water शौचालय के अलावा प्लंबिंग सिस्टम से निकाल सवार और स्नान यदि ठीक से संभाल जाए तो grey water को बगीचे में सुरक्षित रूप में पुनर्बार उपयोग किया जा सकता है। पुनर्विकारां ग्रे पानी का उपयोग आमतौर पर सिंचाई और निर्मित अद्रभुमि में किया जाता है जब तक की कोई हानिकर र रासायनिक मौजूद ना हो खाद्य कण से यक्त धूसर जल का उपयोग पौध की सिंचाई के लिए किया जाता है। इसका उपयोग कपड़े धोने और बाथरूम साफ करने के लिए भी किया जाता है grey water उन केत्र मे मुल्यबान है जहां पानी की कमी है।

कृति :- सबसे पहले हम सारे gry water vigyan aashram की सारे gry water जहां-जहां हे वो सब घूम देखा और उन्हीं gry water की बारे में समझ के लिया कैसे maintenance करते हैं और कैसे बनाते हैं व सब समझ के लिया

Motor rewinding (9)

उद्देश्य :- electric motor एक विद्युत यांत्रिक मशीन है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलती है अर्थात इससे उपयुक्त विद्युत से जोड़ने पर यह घूमने लगती है जिसे जुड़ी मशीन या यंत्र भी घूमने लगती है अर्थात यह विद्युत जनित्र का उल्टा काम करती है जो यांत्रिक ऊर्जा लेकर विद्युत ऊर्जा पैदा करता है। कुछ मोटर अलग-अलग परिस्थितियों में मोटर या जेनेरेटर जनित्र दोनों की तराह भी कम करती है।

सामोग्रि :- multimeter, voltage tester, screwdriver clam meter, measure tape, spanner hemmer

Motor wiring के लिए copper wiring निर्माणों के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे आम सामोग्रि है यह मुख्य रूप से इसकी उच्च विद्युत चालकता (5.96 * 10 s/m) और उपेक्षाकृत कम लागत के कारण है ।

motor winding कैसे की जाती है ?

Rewinding एक motor की सभी wiring को अलग करने की प्रक्रिया है यह motor के stator के भीतर रखे तार होती है जिसका उपयोग एक चुम्बकीय क्षत्र उत्पन्न करने के लिए किया जाता है जो rotors को चलाने के लिए और motor को कार्ज्य करने में मदद करता है।

Motor types .

Electrical motor in tree types ।

(1) AC motor (2) DC motor (3) special motor

Synchronovs motor – shunt motor – stepper motor Induction motor – series motor – Universal motorSingle phase motor – pm dc motor – hy staresis motorThree phese motor – compound motor- reluctance motor – separately axcited

What is motor ?

Motor एक ऐसा उपकरण है जिसका इस्तेमाल करके electrical energy को mechanical ऊर्जा में रूपांतरित कीया जाता है।

Working principle of motor .

Motor में दो मुख्य पुज्य हिस्से होते हैं । (1) stator (2) rotor

Motor के बहुत सारे प्रकार होते हैं उसके हिसाब से उन्हें अलग और पार्ट लगते हैं लेकिन stator और rotar मुख्य पुज्य होते हैं।

Stator :-

stator में एक स्टील का फ्रेम होता है जिसके अंदर की तरफ एक खोखली सिलिंडर के आकार में लैमिनेटेड सिलिकॉन स्टील का स्लॉट्स कटे होते हैं। इसे लैमिनेटेड बनाए जाते है ताकि मोटर में उत्पन्न हिस्टरेसिस और eddy current हानि को काम किया जा सके। लैमिनेटेड सिलिकॉन स्टील के कटे स्लॉट्स में ही 3-φ कॉपर वाइंडिंग लगाई जाती है।

Rotor :-

रोटर में विद्युत वाहक बल के कारण रोटर चालकों में चुम्बकिय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है और एक ही जगह पर कार्यरत दो चुम्बकिय क्षेत्र की पारस्परिक क्रिया से एक घुमने वाला बल उत्पन्न होता है जिससे रोटर घुमनें लगता है ।

CCTV camera (10)

What is CCTV ?

:- CCTV camera ऐसा camera होता है जिसका हार समय निगरानी करने के उपयोग में लेते हैं। CCTV camera किसी भी जगह पर लगा सकते हैं जैसे की अपने घर के मेन गेट पर किसी भी office में हॉस्पिटल में Bank में शॉप पर Showroom पर इत्यादि जगह पर उसको लोगों कि निगरानी करने के लिए लगाया जाता है।

CCTV का full form :- closed circuit television.

Benefits of cctv :- (1) CCTV के सबसे बड़ा फायदा है की आज यह security के साथ-साथ अपनी productivity बढ़ने के लिए भी एक बहुत महत्वपूर्ण digital device बन चुका है

(2) CCTV types :- (a) analog CCTV camera

(b) IP CCTV camera

(c) full HD CC camera

(d) HD CCTV camera camera

(e) wireless CCTV camera

Analogue CCTV camera :-

Analogue CCTV camera सबसे पुरानी Technology पर आधारित CCTV camera है। analogue CCTV camera में Tlv यानी television line Technology का इस्तेमाल किया जाता है television line द्वारा record किये गये वीडियो को DVD digital video record analogue से digital format में बदल जाता है जिसे के बाद इससे record किये गए video देखने लायक बनता है

  • IP cctv camera :-

consul fitting and patti fitting

उद्देश्य :- consul fitting and party fitting की महत्यो को समझना ।

सामोग्रि :-

कृति :- सबसे पहले हम CPM chat सामाझ के लिये CPM chat का full frome :- critical parth of method.

और CPM chat के अनुसार हम patti fitting aur consul fitting का काम decide कीया काब कौन सा काम करना है कितना तारीख में करना है वह सब का CPM chat बनाये । और उसका time एक हफ्ते तक किये थे । और CPM पद्धति के अनुसार हामारा काम एक हफ्ते के अंदर पुरा हो गेया ।